कमल हासन की फिल्म ‘ठग लाइफ’ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा – विरोध के बहाने फिल्म रिलीज नहीं रोकी जा सकती

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By Rita Sharma

🕒 Published 8 hours ago (5:01 PM)

सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता कमल हासन की आगामी फिल्म ‘ठग लाइफ’ के कर्नाटक में प्रदर्शन को लेकर उत्पन्न विवाद पर कड़ा रुख अपनाया है। फिल्म के खिलाफ कर्नाटक में विरोध के बीच कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि CBFC (सेंसर बोर्ड) से सर्टिफिकेट मिलने के बाद किसी फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक नहीं लगाई जा सकती। साथ ही, 19 जून, 2025 को इस मामले पर सुनवाई तय की गई है।

हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हुआ मामला

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से संबंधित याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह 20 जून तक इस पर अपना जवाब पेश करे

हाईकोर्ट की ‘माफी’ की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट की उस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था कि कमल हासन को कर्नाटक की जनता से माफी मांगनी चाहिए। कोर्ट ने कहा,

“यह हाईकोर्ट का काम नहीं है कि वह किसी फिल्मकार को माफी मांगने की सलाह दे।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि किसी को अभिनेता के बयान से आपत्ति है, तो वह अपनी प्रतिक्रिया देने का संवैधानिक अधिकार रखता है, लेकिन राज्य सरकार सिर्फ विरोध की आशंका के आधार पर किसी फिल्म की रिलीज से पल्ला नहीं झाड़ सकती

विवाद की जड़: कन्नड़-तमिल भाषा संबंध पर कमल हासन की टिप्पणी

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब फिल्म ‘ठग लाइफ’ के ऑडियो लॉन्च इवेंट में कमल हासन ने कहा कि

“कन्नड़ भाषा, तमिल से उत्पन्न हुई है।”
इस बयान ने कर्नाटक में भारी विरोध खड़ा कर दिया। कई भाषा प्रेमी संगठनों और सामाजिक समूहों ने इस बयान को अपमानजनक बताते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिए।

कर्नाटक थियेटर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

कर्नाटक थियेटर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें फिल्म की रिलीज को लेकर सुरक्षा की मांग की गई है। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि

“फिल्म दिखाए जाने पर असामाजिक तत्व खुलेआम धमकी दे रहे हैं कि थिएटरों में आग लगा दी जाएगी।”

सुप्रीम कोर्ट का रुख: ‘संवैधानिक अधिकारों की रक्षा जरूरी’

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि किसी फिल्म को रोका नहीं जा सकता यदि उसने सेंसर बोर्ड की मंजूरी प्राप्त कर ली है। कोर्ट का कहना था कि

“लोकतांत्रिक समाज में विरोध का अधिकार है, लेकिन वह हिंसा और धमकी का रूप नहीं ले सकता। राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभानी होगी।”

 

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