🕒 Published 2 weeks ago (8:57 AM)
डेस्क। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस पवित्र माह में आने वाली शिवरात्रि का खास महत्व होता है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार को मनाई जा रही है। इस दिन लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए मंदिरों में उमड़ते हैं और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजन करते हैं। कांवड़ यात्रा पर निकले भक्त इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं शिवरात्रि का मुहूर्त, पूजा की विधि, आवश्यक सामग्री और पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्र।
सावन शिवरात्रि 2025 का मुहूर्त
इस बार श्रावण मास की शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि की शुरुआत सुबह 4:39 बजे होगी और इसका समापन 24 जुलाई को रात 2:28 बजे होगा। निशिता काल में विशेष पूजा का समय रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा।
रात्रि के चारों प्रहरों में पूजा का समय
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पहला प्रहर: शाम 7:17 से रात 9:53 बजे तक
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दूसरा प्रहर: रात 9:53 से 12:28 बजे (24 जुलाई) तक
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तीसरा प्रहर: 12:28 से 3:03 बजे (24 जुलाई) तक
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चौथा प्रहर: 3:03 से 5:38 बजे (24 जुलाई) तक
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पारण का समय: 24 जुलाई को सुबह 5:38 बजे
कैसे करें सावन शिवरात्रि की पूजा
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा की समस्त सामग्री एकत्रित कर शिव मंदिर या घर के पूजा स्थल पर जाएं। शिवलिंग पर पहले जल अर्पित करें और फिर बेलपत्र, चंदन, पुष्प, भस्म, धतूरा, भांग आदि चढ़ाएं। पूजा करते समय शिव मंत्रों का जाप करते रहें। जलाभिषेक के बाद आधी परिक्रमा करें और एक स्थान पर बैठकर शिव चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में दीप या कपूर जलाकर आरती करें और भगवान से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
सावन शिवरात्रि पर बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र
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ओम नम: शिवाय
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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥
शिवरात्रि व्रत का महत्व
ऐसा माना जाता है कि सावन शिवरात्रि का व्रत सभी दुखों को दूर करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। जिनके विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें सावन के सोमवार और शिवरात्रि का व्रत करने की सलाह दी जाती है। लगातार 16 सोमवार का व्रत करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं।
शिवरात्रि के लिए आवश्यक पूजन सामग्री
शिव पूजन के लिए पुष्प, पंच मेवा, गंगाजल, शुद्ध घी, शहद, बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, तुलसी, मंदार फूल, चंदन, इत्र, जनेऊ, दीप, धूप, कपूर, गाय का दूध, शृंगार की वस्तुएं और पूजा के पात्र शामिल होते हैं।