डेस्क। इस वर्ष सावन पूर्णिमा व्रत 8 अगस्त 2025 को रखा जाएगा, जबकि पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त 2025 को है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से चंद्र देव की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
विषयसूची
सावन पूर्णिमा पर चंद्र दोष निवारण
व्रत के दिन चंद्रमा के उदय होने पर उन्हें अर्घ्य दें और पूजा के समय चंद्र स्तोत्र और चंद्र कवच का पाठ करें। ये दोनों पाठ चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने में मददगार माने जाते हैं। चंद्रमा को मन का कारक बताया गया है, इसलिए जब चंद्रमा शुभ होता है, तो मानसिक स्थिरता और सकारात्मक सोच बढ़ती है।
चंद्र कवच (संक्षेप में)
चंद्र कवच में चंद्र देव से जीवन के हर अंग की रक्षा की प्रार्थना की जाती है। इसमें कहा गया है कि चंद्रमा का यह दिव्य कवच भोग और मोक्ष दोनों देने वाला है, और जो इसे पढ़े या सुने, वह हर जगह विजय प्राप्त करता है।
चंद्र स्तोत्र (संक्षेप में)
चंद्र स्तोत्र में चंद्र देव के रूप, गुण और कृपा का वर्णन है। इसमें उन्हें श्वेत वस्त्रधारी, शीतल प्रकाश वाले, हर के मुकुट के भूषण और औषधियों को पोषण देने वाले के रूप में नमस्कार किया जाता है।
चंद्र स्तोत्र और कवच पढ़ने के लाभ
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माता से संबंध मधुर होते हैं और उनका स्नेह प्राप्त होता है।
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मन स्थिर होता है, चिंता, भ्रम, अनिद्रा जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
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भावनात्मक मजबूती मिलती है, दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
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स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है, मानसिक रोग कम होते हैं।
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ध्यान, योग और साधना में मन लगता है, अवसाद और डर दूर होता है।
 
सावन पूर्णिमा पर इन पाठों का श्रद्धापूर्वक जाप न केवल चंद्र दोष को दूर करता है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन भी लाता है।
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