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जनसंख्या नीति की मांग पर आरएसएस का जोर, कहा- असंतुलन दूर करने के लिए जरूरी कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर केंद्र सरकार से जल्द जनसंख्या नीति लागू करने की अपील की है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश में बढ़ते जनसांख्यिकीय असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाना अब समय की जरूरत है। मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक के अंतिम दिन उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तार से बात की और सरकार से जल्द नीति लागू करने का आग्रह किया।

सरकार से जल्द नीति बनाने की अपील

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन देश के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे पर असर डाल सकता है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार इस विषय को लेकर गंभीर है और इस पर संसद सहित कई मंचों पर चर्चा हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति जितनी जल्दी बनाई जाएगी, उसका लाभ समाज को उतनी ही जल्दी मिलेगा। होसबाले का मानना है कि संतुलित जनसंख्या ही मजबूत लोकतंत्र की नींव होती है, और इस दिशा में कोई ठोस नीति बनना अब अत्यंत आवश्यक है।

प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री भी जता चुके हैं चिंता

इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार चिंता जता चुके हैं। स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा था कि देश को भविष्य के लिए तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने इस दिशा में एक उच्चस्तरीय मिशन शुरू करने की घोषणा की थी जो जनसंख्या नियंत्रण, स्वास्थ्य और शिक्षा के समन्वय पर काम करेगा।
फरवरी 2024 में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का जिक्र किया था। उन्होंने जनसंख्या से जुड़े परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की थी। अब जब दत्तात्रेय होसबाले ने इस विषय पर खुलकर बात की है, तो माना जा रहा है कि संघ सरकार से इस दिशा में जल्द कदम उठाने की अपेक्षा कर रहा है।

होसबाले ने बताए जनसंख्या नीति के कारण

दत्तात्रेय होसबाले ने अपने बयान में कहा कि जनसंख्या नीति सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण का सवाल नहीं है बल्कि यह देश की स्थिरता, संसाधनों के संतुलित उपयोग और सामाजिक समरसता से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि तीन प्रमुख कारण ऐसे हैं जो लोकतंत्र को अस्थिर कर सकते हैं — घुसपैठ, धार्मिक धर्मांतरण और किसी एक समुदाय का जनसंख्या पर अत्यधिक प्रभाव। उनका कहना था कि यह तीनों कारक देश के संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए इन पर नियंत्रण जरूरी है।

धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त

होसबाले ने कहा कि सेवा के नाम पर धर्मांतरण चिंता का विषय बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरएसएस से जुड़े संगठन जैसे वनवासी कल्याण आश्रम और विश्व हिंदू परिषद इस समस्या से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कई इलाकों में यह देखा गया है कि धर्मांतरण के कारण स्थानीय समुदायों की सामाजिक संरचना प्रभावित हो रही है। पंजाब में सिखों के बीच भी धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर उन्होंने चिंता जताई और कहा कि इसे रोकने के लिए जागरूकता और सामाजिक तालमेल की जरूरत है। उनके अनुसार, ऐसे प्रयासों से “घर वापसी” यानी अपने मूल धर्म में लौटने की प्रक्रिया को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

जनसंख्या नीति से संभावित लाभ

आरएसएस का मानना है कि यदि केंद्र सरकार जल्द एक समग्र जनसंख्या नीति लागू करती है, तो इससे कई स्तरों पर लाभ मिल सकते हैं। इससे संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा, सामाजिक ताने-बाने में संतुलन आएगा और आर्थिक विकास की रफ्तार को भी नई दिशा मिलेगी। विशेषज्ञों का भी कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण सिर्फ जनगणना का विषय नहीं है बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण से सीधा जुड़ा हुआ है।

राज्यों में भी बढ़ रही है चर्चा

कई राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर पहले से ही चर्चा चल रही है। उत्तर प्रदेश और असम जैसी सरकारें इस दिशा में प्रस्ताव तैयार कर चुकी हैं। इन राज्यों ने दो-बच्चों की नीति जैसे प्रावधानों पर विचार किया है ताकि जनसंख्या की वृद्धि दर को संतुलित रखा जा सके। अब संघ द्वारा इस मुद्दे को फिर से उठाने के बाद माना जा रहा है कि केंद्र स्तर पर इस पर ठोस कदम की संभावना बढ़ गई है।

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