भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 6 अगस्त को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट की दर 5.50 फीसदी ही बनी रहेगी । आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को यथावत रखने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि पिछली MPC बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई थी, जबकि फरवरी और अप्रैल में भी RBI ने 25-25 आधार अंकों की कटौती की थी। कुल मिलाकर इस वर्ष की शुरुआत से अब तक रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा चुकी है।
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रेपो रेट का क्या मतलब है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है। जब रेपो रेट घटती है, तो बैंकों के लिए फंड लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर ऋण देने में सक्षम होते हैं। इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे कर्ज पर पड़ता है, जो सस्ते हो जाते हैं।
महंगाई पर RBI का नजरिया
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि देश में कोर महंगाई दर 4% के स्तर पर स्थिर बनी हुई है, हालांकि कई विकसित देशों में महंगाई का स्तर अभी भी ऊंचा है। उन्होंने कहा कि देश में सामान्य से बेहतर दक्षिण-पश्चिम मानसून और अनुकूल आर्थिक परिस्थितियां विकास को मजबूती दे रही हैं।
FY26 के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाया गया
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए महंगाई दर के अनुमान में संशोधन किया है। पहले जहां FY26 में महंगाई दर 3.7% रहने का अनुमान था, अब इसे घटाकर 3.1% कर दिया गया है। यह आपूर्ति में सुधार और अनुकूल मानसूनी परिस्थितियों की वजह से संभावित स्थिरता की ओर इशारा करता है।
निष्कर्ष:
रेपो रेट को स्थिर रखते हुए RBI ने संकेत दिया है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में ब्याज दरों में फिलहाल और कटौती की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, बढ़ती वैश्विक महंगाई और घरेलू स्थिरता के बीच संतुलन बनाए रखना आरबीआई की प्राथमिकता बनी रहेगी।
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