RBI Repo Rate Cuts
RBI Repo Rate Cuts: कर्जधारकों और नया लोन लेने की योजना बना रहे लोगों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ी राहत का ऐलान किया है! RBI की मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक समीक्षा बैठक आज समाप्त हो गई, जिसमें गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट में 50 आधार अंकों (0.50%) की बड़ी कटौती की घोषणा की। यह कटौती बाजार की उम्मीदों से कहीं अधिक है और इससे आपकी EMI कम हो जाएगी, जिससे होम और कार लोन लेना अब और सस्ता हो जाएगा।
रेपो रेट अब 6% से घटकर 5.50% पर आ गई है। यह नीतिगत दर में लगातार तीसरी कटौती है। इससे पहले, फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षाओं में RBI ने रेपो रेट में 25-25 आधार अंकों की कमी की थी।
रेपो रेट में यह कमी सीधे तौर पर होम लोन और कार लोन की EMI पर असर डालेगी, क्योंकि इन लोन की दरें रेपो रेट से जुड़ी होती हैं। इस साल अब तक रेपो रेट में कुल 100 आधार अंकों (1%) की कमी आ चुकी है। यदि बैंक इस पूरी कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाते हैं, तो होम लोन की दरें एक बार फिर 7.5% के नीचे आ सकती हैं, जो अभी 8% के करीब चल रही हैं।
उदाहरण के तौर पर, 20 साल के लिए ₹30 लाख के होम लोन की EMI में इन तीनों कटौतियों को मिलाकर ₹2000 तक की कमी आ सकती है। कम ब्याज दरें घरों और कारों की बिक्री को बढ़ावा देंगी, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बढ़ेगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
RBI ने केवल रेपो रेट ही नहीं, बल्कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में भी 100 आधार अंकों (1%) की बड़ी कमी करते हुए इसे 4% से घटाकर 3% कर दिया है। CRR वह राशि है जिसे बैंकों को हमेशा अपने पास नकद में रखना पड़ता है। इसमें कटौती से बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा उपलब्ध होगा, जिससे कर्ज मिलना और आसान हो सकता है।
इसके साथ ही, RBI ने स्टेंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को भी घटाकर 5.25% कर दिया है और बैंक रेट को भी 5.75% कर दिया है। इन कदमों से बैंकों को RBI से कर्ज लेने में भी राहत मिलेगी।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि महंगाई दर 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है और GDP ग्रोथ भी संतोषजनक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि रेट कम करने के निर्णय से बाजार में खपत बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी। RBI ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर स्थिर रखा है।
गवर्नर ने रेपो रेट में इस “जंबो कटौती” का कारण बताते हुए कहा कि पिछले 6 महीनों में महंगाई की दर 4% से नीचे आ गई है। वैश्विक मंदी और कमोडिटी कीमतों में गिरावट के चलते इस साल महंगाई दर 3.7% रहने का अनुमान है। वहीं, विकास दर अभी भी अपेक्षाओं से कम है, इसलिए घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति के ‘अकॉमोडेटिव’ (accommodative) स्टैंस को बदलकर अब ‘न्यूट्रल’ (neutral) कर दिया है। इसका अर्थ है कि अब RBI भविष्य में ब्याज दरों में बदलाव के लिए अधिक लचीला होगा और वह अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने व विकास को गति देने के लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाएगा। गवर्नर ने यह भी कहा कि उनकी नजर टैरिफ वार और युद्ध से उत्पन्न हुई वैश्विक स्थिति पर भी बनी हुई है।
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