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Rare Earth Elements India Discovery: रेयर अर्थ की खोज से भारत को नई ताकत Game Changer for EV & Tech Industry

भारत ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। अब तक यह सेक्टर चीन के नियंत्रण में माना जाता था, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में हुई नई खोज भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार दे सकती है।

पापुम पारे में मिला खनिज भंडार

खान मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के पापुम पारे जिले में नियोडिमियम (Neodymium) जैसे महत्वपूर्ण धातु का बड़ा भंडार मिला है। इस धातु का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, हाई-टेक मैग्नेट्स और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।

ईवी और ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा

अगर इन धातुओं का व्यावसायिक दोहन शुरू होता है तो दिल्ली-एनसीआर, पुणे और चेन्नई जैसे ऑटोमोबाइल हब में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को नया आयाम मिलेगा। असम के कार्बी आंगलोंग और मेघालय के सुंग घाटी में भी REE से भरपूर मिट्टी मिली है, वहीं मध्य प्रदेश के सिंगरौली में भी इन धातुओं के संकेत देखे गए हैं।

चीन पर निर्भरता घटने की संभावना

अब तक भारत का लगभग 85 से 90 प्रतिशत REE आयात चीन से होता रहा है। लेकिन इन नए भंडारों के बाद भारत अपनी जरूरतें खुद पूरी कर सकता है। इससे न सिर्फ उद्योगों को बल मिलेगा बल्कि चीन की आपूर्ति नीतियों से उत्पन्न होने वाले दबाव से भी राहत मिल सकती है।

वैश्विक स्तर पर भारत की चुनौती

फिलहाल विश्व उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम है, जबकि चीन लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन और 90 प्रतिशत शोधन क्षमता पर काबिज है। हालांकि आने वाले वर्षों में अगर भारत ने तेजी से खनन और शोधन क्षमता बढ़ाई तो वह इस क्षेत्र में दुनिया को नई चुनौती पेश कर सकता है।

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