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Rampur News: 15 दिन बाद हुई पहली मुलाकात, आजम खान की नम आंखों ने बयां किया सब कुछ

रामपुर: समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज बुधवार को रामपुर पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से उनके घर पर मुलाकात की। यह मुलाकात केवल दो नेताओं के बीच नहीं थी, बल्कि भावनाओं, पुराने रिश्तों और राजनीतिक संकेतों से भरपूर एक ऐतिहासिक लम्हा बन गई।


गले लगे, हाथ थामा और आंखें नम हुईं

जैसे ही अखिलेश यादव और आजम खान आमने-सामने आए, दोनों ने हाथ मिलाया, गले लगे और एक ही कार में बैठकर घर के लिए रवाना हो गए। इस दौरान आजम खान की आंखों में आंसू छलक आए।
रामपुर की गलियों में यह तस्वीरें तेज़ी से वायरल हो गईं, जिनमें दोनों नेता एक साथ कार में जाते दिखाई दिए। जब वे आजम खान के आवास पहुंचे, तो अखिलेश ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें घर के भीतर ले गए।


मुलाकात से पहले रखी गई थी खास शर्त

आजम खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अखिलेश यादव से वह खुद मिलेंगे, लेकिन परिवार का कोई अन्य सदस्य मौजूद नहीं रहेगा।
राजनीतिक गलियारों में इसे एक तरह की नाराज़गी के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि आजम खान कुछ मुद्दों को लेकर अखिलेश से खफा थे और यह मुलाकात उन्हीं दूरियों को पाटने की कोशिश थी।


सुरक्षा व्यवस्था और कार्यकर्ताओं की भीड़

आजम खान के घर के बाहर पुलिस द्वारा बैरिकेडिंग कर दी गई थी। मीडिया और अन्य नेता घर से कुछ दूरी पर ही रोक दिए गए।
सूत्रों के अनुसार, घर के भीतर केवल 12 लोग मौजूद थे। बाहर, समाजवादी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे, जो इस ऐतिहासिक मुलाकात के गवाह बनना चाहते थे।


अखिलेश यादव के दौरे का शेड्यूल

बुधवार सुबह 11:30 बजे अखिलेश यादव लखनऊ से निजी विमान से रवाना हुए। पहले वह बरेली एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से हेलिकॉप्टर द्वारा 12:45 बजे रामपुर स्थित जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां कार्यकर्ताओं ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया, जहां आजम खान ने खुद स्वागत करते हुए उन्हें गले लगाया।


23 सितंबर को रिहा हुए थे आजम खान

गौरतलब है कि 23 सितंबर को आजम खान जेल से रिहा हुए थे। उस समय अखिलेश यादव ने उन्हें रिसीव नहीं किया था।
तब आजम खान ने कहा था:

“हम कोई बड़े नेता नहीं हैं, अगर होते तो बड़ा नेता लेने आता।”

आज की मुलाकात ने उसी ‘दूरी’ को कम करने की कोशिश की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों और पार्टी के भीतर समीकरणों पर इसका क्या असर होता है।

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