🕒 Published 1 week ago (9:00 PM)
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ को पत्र लिखकर उनकी संसद में उठाई गई मजबूत आवाज़ की प्रशंसा की है। राज ठाकरे ने यह पत्र भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के विवादित बयान के बाद लिखा, जिसमें दुबे ने कथित तौर पर मराठी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था।
विवादित बयान और प्रतिक्रिया
हाल ही में निशिकांत दुबे ने कथित रूप से मराठी लोगों को लेकर “पटक पटक कर मारूंगा” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद महाराष्ट्र में भारी विरोध देखने को मिला। इस बयान की संसद में तीखी आलोचना करते हुए वर्षा गायकवाड़ ने दुबे को घेरते हुए जवाबदेही की मांग की थी।
ठाकरे का खुला समर्थन
राज ठाकरे ने अपने पत्र में लिखा कि वे गायकवाड़ की इस साहसी पहल की तारीफ करते हैं, जिसमें उन्होंने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए संसद में मजबूत आवाज़ उठाई। उन्होंने लिखा कि “जब पूरा महाराष्ट्र देख रहा था कि उसके प्रतिनिधि चुप क्यों हैं, आपने अपनी कार्यवाही से सबकी आँखें खोल दी हैं।”
महाराष्ट्र की जिम्मेदारी पहले
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में महाराष्ट्र पर देश के लिए सोचने की जिम्मेदारी तो है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे पहले हमारी जिम्मेदारी उस जनता के प्रति है जिसने हमें चुना है – यानी मराठी समाज के प्रति।
उन्होंने लिखा कि मराठों ने इतिहास में 125 वर्षों तक शासन किया और 1857 के संग्राम जैसी ऐतिहासिक घटनाओं में अहम भूमिका निभाई। ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली में महाराष्ट्र की ताकत को महसूस कराना जरूरी है।
सांसदों की चुप्पी पर सवाल
राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के अन्य सांसदों की चुप्पी पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि वे नहीं समझ पा रहे कि संसद में बैठे महाराष्ट्र के 45 सांसद इस तरह की अपमानजनक बातों पर क्यों शांत रहे। उन्होंने वर्षा गायकवाड़ की आवाज़ को महाराष्ट्र की आत्मा की आवाज़ बताया।
वैचारिक मतभेदों से ऊपर मराठी अस्मिता
अपने पत्र के अंत में राज ठाकरे ने कहा कि चाहे हमारे बीच कितने भी वैचारिक मतभेद हों, लेकिन जब बात महाराष्ट्र, मराठी भाषा और मराठी समाज की आती है तो ये सभी मतभेद महत्वहीन हो जाते हैं। उन्होंने गायकवाड़ के साहस की एक बार फिर तारीफ की और उम्मीद जताई कि उनकी आवाज़ आगे भी इसी तरह बुलंद बनी रहेगी।