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मारवाड़ को रेल मंत्रालय की सौगात, नई ब्रॉडगेज रेल लाइन को मिली मंजूरी

रेल मंत्रालय ने राजस्थान में एक नई ब्रॉड गेज रेल लाइन के निर्माण के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (FLS) को मंजूरी दे दी है। यह रेल लाइन देवगढ़ मदारिया को मारवाड़ जंक्शन से जोड़ेगी। परियोजना के पूरा होने पर जोधपुर और बीकानेर से चित्तौड़गढ़ और उदयपुर के बीच सीधी रेल कनेक्टिविटी स्थापित होगी, जिससे यात्रियों का सफर समय काफी कम हो जाएगा।

किसानों के लिए रेल लाइन बनेगी लाइफलाइन

रेल मंत्रालय के अनुसार, यह नई लाइन मारवाड़ क्षेत्र में रेल संचालन को और तेज़ और प्रभावी बनाएगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इससे स्थानीय किसानों की उपज, जैसे फल और सब्जियां, अब नए बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगी। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों की परिवहन और रसद लागत में भी कमी आएगी।

जोधपुर-पाली औद्योगिक क्षेत्र को मिलेगा बड़ा लाभ

यह परियोजना दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ी हुई है, जिससे जोधपुर-पाली औद्योगिक क्षेत्र को बड़ा लाभ मिलेगा। यह क्षेत्र पश्चिमी भारत में एक उभरते विनिर्माण और लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित हो रहा है। नई रेल लाइन से न केवल निवेश आकर्षित होगा बल्कि औद्योगिक केंद्रों को देशभर के बंदरगाहों और बाजारों से अधिक कुशल कनेक्टिविटी मिलेगी।

माल ढुलाई क्षमता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम

रेलवे के अनुसार, यह ब्रॉड गेज लाइन राजस्थान के संगमरमर, ग्रेनाइट और सीमेंट उद्योगों के लिए भी फायदेमंद होगी। यह परियोजना भारतीय रेलवे के मिशन 3000 एमटी के तहत माल ढुलाई क्षमता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। लगभग 969 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह लाइन 82 किलोमीटर लंबी होगी।

असम में भी विकास परियोजनाओं पर काम जारी

इसी तरह, रेलवे असम में भी कनेक्टिविटी, आधारभूत संरचना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई विकास परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इन परियोजनाओं का लक्ष्य क्षेत्रीय विकास को मजबूत करना, रोजगार के अवसर सृजित करना और पूर्वोत्तर भारत को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से और बेहतर तरीके से जोड़ना है।

बांसबाड़ी में प्रस्तावित वैगन पीरियोडिक ओवरहालिंग (POH) कार्यशाला

इस दिशा में एक बड़ा कदम कोकराझार जिले के बांसबाड़ी में प्रस्तावित वैगन पीरियोडिक ओवरहालिंग (POH) कार्यशाला है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिलंजल किशोर शर्मा के अनुसार, लगभग 2,500 बीघा क्षेत्र में 256.35 करोड़ रुपये (प्रथम चरण) की लागत से बनने वाली यह आधुनिक कार्यशाला प्रारंभ में प्रति माह 75 वैगनों की मरम्मत करेगी, जिसे आगे बढ़ाकर 250 वैगन प्रति माह किया जाएगा। बांसबाड़ी स्टेशन और रूपसी हवाई अड्डे के पास स्थित यह कार्यशाला क्षेत्र को एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब में बदल देगी और “विकसित भारत” के विज़न को सशक्त बनाएगी।

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