नई दिल्ली। राहुल गांधी के निवास पर गुरुवार को आयोजित डिनर पार्टी में विपक्षी दलों की उपस्थिति ने न सिर्फ राजनीतिक हलचलों को हवा दी, बल्कि भविष्य के चुनावी रणनीतियों की दिशा भी तय कर दी। यह आयोजन ऐसे वक्त में हुआ जब बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद ठप पड़ी हुई है और विपक्ष इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपना चुका है।
SIR विवाद के बीच विपक्ष का नया गठजोड़
बिहार में जारी SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों की चिंता लगातार बढ़ रही है। बुधवार को कांग्रेस के नेतृत्व में हुई साझा प्रेस वार्ता में तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, शिवसेना (UBT), राजद, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, सीपीआई, IUML, RSP और एनसीपी जैसे कई दलों ने एक साथ मंच साझा किया। यह इशारा था कि चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया को लेकर सभी विपक्षी दलों में असहमति और चिंता का माहौल है।
आम आदमी पार्टी की दिलचस्प स्थिति
हालांकि आम आदमी पार्टी ने खुद को इंडिया गठबंधन से अलग बताया है, फिर भी वह इस साझा प्रेस वार्ता में शामिल रही। हालांकि राहुल गांधी के डिनर में उसके शामिल न होने की खबरें सामने आईं। इसके बावजूद पार्टी का प्रेस वार्ता में आना दर्शाता है कि SIR जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विपक्ष के तमाम दल एकजुट हो सकते हैं।
एक साल की सुस्ती के बाद फिर सक्रिय होता गठबंधन
लोकसभा चुनाव के बाद से इंडिया गठबंधन लगभग निष्क्रिय सा हो गया था। लेकिन संसद के मानसून सत्र में SIR को लेकर उठे विवाद ने विपक्ष को फिर से एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही गठबंधन सहयोगियों के साथ कई बैठकों की अगुवाई कर चुके हैं। अब इसी क्रम में राहुल के आवास पर हुआ डिनर भविष्य की रणनीति की नींव साबित हो सकता है।
शुक्रवार को चुनाव आयोग तक मार्च की तैयारी
गुरुवार के डिनर के बाद शुक्रवार को विपक्षी नेता चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकालेंगे। यह कदम दिखाता है कि विपक्ष अब सिर्फ सदन में नहीं, बल्कि सड़कों पर भी सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ अभियान तेज करने की तैयारी में है।
SIR पर एकमत क्यों हो रहा है विपक्ष
चुनाव आयोग द्वारा नागरिकता के प्रमाण मांगने को लेकर विपक्षी दलों में गहरी चिंता है। उन्हें आशंका है कि इस प्रक्रिया के जरिए उनके समर्थक मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है। डीएमके के वरिष्ठ नेता तिरुचि शिवा ने साफ कहा कि SIR एक गंभीर विषय है और यह देशभर में फैल सकता है।
क्षेत्रीय दलों की भूमिका और चिंता
वोटर लिस्ट संशोधन की यह प्रक्रिया अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रही। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में भी इसके विस्तार की आशंका है, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में क्षेत्रीय दलों के लिए यह मुद्दा अस्तित्व का संकट बन चुका है। वे न केवल संसद में, बल्कि बाहर भी कांग्रेस के साथ खड़े होने को तैयार दिख रहे हैं।
साझा मुद्दों पर ही बन सकती है एकता
पिछले सत्रों में अडानी जैसे मुद्दों पर विपक्षी दलों में मतभेद रहा, लेकिन SIR जैसे व्यापक असर वाले मुद्दे पर एकता बनाना आसान हो रहा है। यही वजह है कि कांग्रेस अब उन्हीं विषयों को प्राथमिकता दे रही है जिन पर सभी दलों की चिंता साझा हो।
इंडिया गठबंधन का भविष्य क्या होगा
हालांकि अभी सभी दल एक मंच पर जरूर हैं, लेकिन गठबंधन की दीर्घकालिक एकता पर प्रश्नचिह्न बना हुआ है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और आम आदमी पार्टी जैसे दल चुनावी समय में अलग राह पकड़ सकते हैं। फिर भी साझा मुद्दों पर एकजुटता, केंद्र के खिलाफ विपक्ष की ताकत बढ़ा सकती है।
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