ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच उभरे सैन्य संघर्ष ने नियंत्रण रेखा (LoC) के नजदीक कई रिहायशी इलाकों को चपेट में ले लिया। इस दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई गोलाबारी में कई घर तबाह हो गए। इसी बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले पहुंचे, जहां उन्होंने गोलाबारी के शिकार पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना।
राहुल गांधी का यह दौरा पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर का दूसरा दौरा है। उस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। राहुल गांधी 25 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे थे और घायलों से मुलाकात के साथ-साथ उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य हितधारकों से भी बातचीत की थी।
पुंछ पहुंचने के बाद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,
“टूटे मकान, बिखरा सामान, नम आंखें और हर कोने में अपनों को खोने की दर्द भरी दास्तान – ये देशभक्त परिवार हर बार जंग का सबसे बड़ा बोझ साहस और गरिमा के साथ उठाते हैं। उनके हौसले को सलाम है।”
कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि राहुल गांधी शनिवार सुबह जम्मू एयरपोर्ट पहुंचे और फिर हेलीकॉप्टर से पुंछ रवाना हो गए। उन्होंने वहां गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा का भी दौरा किया, जो गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हुआ था। इसके अलावा वे एक मंदिर, मदरसा और एक ईसाई मिशनरी स्कूल समेत अन्य फायरिंग प्रभावित स्थलों का निरीक्षण करेंगे और नागरिक समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे।
कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने बताया,
“राहुल गांधी पहले ऐसे राष्ट्रीय नेता हैं जो सीधे ग्राउंड पर पहुंचकर प्रभावितों के साथ खड़े हुए हैं।”
ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद संघर्ष का सिलसिला:
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के 9 ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने पुंछ समेत कई सेक्टरों में सीजफायर उल्लंघन करते हुए भीषण गोलीबारी शुरू कर दी।
7 से 10 मई के बीच पाकिस्तान की ओर से तोपों, मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए गए, जिसमें 28 भारतीय नागरिकों की जान चली गई। अकेले पुंछ जिले में 13 लोगों की मौत और 70 से अधिक लोग घायल हुए। हालात इतने खराब हो गए कि हजारों स्थानीय लोगों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
चार दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी और गोलाबारी थमी।
राहुल गांधी की यह संवेदना यात्रा न सिर्फ पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश है, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में बसे लोगों की पीड़ा को राष्ट्रीय पटल पर लाने का भी प्रयास मानी जा रही है।
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