राहुल गांधी ने पेपर लीक को बताया ‘सिस्टेमेटिक फेलियर’, सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

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By Ankit Kumar

देश में बार-बार हो रहे पेपर लीक ने लाखों छात्रों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस गंभीर समस्या पर सरकार को घेरते हुए इसे युवाओं के लिए सबसे खतरनाक ‘पद्मव्यूह’ करार दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, “6 राज्यों में 85 लाख बच्चों का भविष्य खतरे में है। पेपर लीक हमारे युवाओं के लिए सबसे खतरनाक ‘पद्मव्यूह’ बन चुका है।” उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

संकट छात्रों के सपनों पर

राहुल गांधी ने पेपर लीक को उन छात्रों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा संकट दिखाया, जो पूरी मेहनत और लगन से परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक परीक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह उन लाखों युवाओं के सपनों पर सीधा हमला है, जो अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल करना चाहते हैं। पेपर लीक न केवल उनकी कड़ी मेहनत को व्यर्थ कर देता है, बल्कि समाज में यह गलत संदेश भी फैलाता है कि बेईमानी, परिश्रम से अधिक प्रभावी हो सकती है।

मोदी सरकार का निशाना साधा

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दी कि अभी एक साल भी नहीं गुजरे थे जब NEET पेपर लीक ने पूरे देश को हिला-डुला दिया था। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि तब उन्होंने नए कानून लाकर ऐसा करने का वादा किया था, जिससे ऐसे लीक से बच जाएं, लेकिन हाल ही में हुई घटनाओं के मद्देनज़र यह तुरंत पता चल गया कि सरकार ने यह फ़ैसला पूरी तरह से विफल रहा।

सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होने की अपील

राहुल गांधी ने इस समस्या को एक सिस्टेमेटिक फेलियर करार देते हुए कहा कि इसका समाधान केवल किसी एक पार्टी या सरकार के वश की बात नहीं है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और सरकारों से अपील की कि वे इस समस्या के खिलाफ एकजुट हों और इस पर कड़े कदम उठाएं ताकि परीक्षाओं की गरिमा बनी रहे और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

छात्रों के हक के लिए ठोस कार्यवाही की मांग

राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया कि परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता हर छात्र का अधिकार है, और हर हाल में इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर अमल करने की मांग करते हुए कहा कि छात्रों का भविष्य किसी कीमत पर दांव पर नहीं लगाया जा सकता। यह मात्र छात्रों का ही नहीं, बल्कि देश का भविष्य का सवाल है, और इसे हल करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

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