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किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान, 60% कारोबार ठप; हरियाणा को मिला 4 गुना फायदा

किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान, 60% कारोबार ठप; हरियाणा को मिला 4 गुना फायदा

पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव डाला है। करीब 13 महीने तक चल रहे आंदोलन के कारण राज्य को 20000 करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं, हरियाणा को इस आंदोलन से फायदा मिला है, क्योंकि व्यापारियों और उद्योगपतियों ने अपनी सप्लाई चैन को हरियाणा की ओर मोड़ दिया।

किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान: कारोबार ठप

पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन ने राज्य की कई प्रमुख इंडस्ट्रीज को बुरी तरह प्रभावित किया है। खासकर लुधियाना की साइकिल इंडस्ट्री, जालंधर की स्पोर्ट्स मार्केट और वूलन इंडस्ट्री को गहरा नुकसान पहुंचा है। पंजाब के उद्योगपतियों के मुताबिक, राज्य की 60% से अधिक कारोबार गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप हो चुकी हैं। आंदोलन के कारण शंभू और खनौरी बॉर्डर बंद रहे, जिससे व्यापारियों को अपने माल की सप्लाई दूसरे राज्यों में करना मुश्किल हो गया।

किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान: व्यापारियों की राय

लुधियाना की साइकिल इंडस्ट्री के प्रमुख बदीश जिंदल ने बताया कि बॉर्डर बंद होने से उनकी इंडस्ट्री को हर महीने 1500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा था। उनका मानना है कि किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है, और अगर ये स्थिति आगे भी बनी रहती तो कई छोटे उद्योग पूरी तरह से बंद हो सकते थे।

वूलन इंडस्ट्री के प्रधान दर्शन डावर के अनुसार, किसानों के धरने से राज्य में व्यापारिक माहौल पूरी तरह से खराब हो चुका है। उनका कहना है कि कई व्यापारियों ने पंजाब से व्यापार करना बंद कर दिया है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है।

हरियाणा को मिला 4 गुना फायदा

किसान आंदोलन का असर हरियाणा पर उल्टा पड़ा। आंदोलन के चलते पंजाब से व्यापारिक गतिविधियों में कमी आई, और व्यापारियों ने अपनी सप्लाई चैन को हरियाणा की ओर मोड़ दिया। इससे हरियाणा को चार गुना ज्यादा फायदा हुआ। हरियाणा के कई व्यापारियों ने इस स्थिति का फायदा उठाते हुए अपनी उत्पादकता और व्यापारिक संपर्कों को बढ़ाया।

किसान आंदोलन से पंजाब को 20,000 करोड़ का भारी नुकसान

जालंधर स्पोर्ट्स मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंदर धीर का कहना है कि पंजाब के व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई करना मुश्किल होगा। लेकिन उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से कुछ सुधार हो सकता है।

सरकार की भूमिका और उद्योग जगत की अपेक्षाएँ

मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने किसानों और व्यापारियों के बीच संतुलन बनाते हुए शंभू और खनौरी बॉर्डर को पुलिस की मदद से खुलवाया। इससे उद्योग जगत को कुछ राहत मिली है, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि यह राहत पर्याप्त नहीं है।

पंजाब की साइकिल और ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का मानना है कि अगर सरकार स्थायी और सुरक्षित व्यापारिक माहौल प्रदान कर सके, तो राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के प्रमुख तुषार जैन का कहना है कि बॉर्डर खुलने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत में कमी आएगी और राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी। लेकिन इसके लिए सरकार को निरंतर कदम उठाने होंगे ताकि किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान की भरपाई की जा सके।

आंदोलन के आर्थिक प्रभाव: उद्योग जगत की चिंता

किसान आंदोलन के कारण पंजाब की अर्थव्यवस्था में बड़ा संकट पैदा हो गया है। खासकर माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंडस्ट्री (MSME) और वूलन इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है। पंजाब की साइकिल इंडस्ट्री, जो राज्य की प्रमुख उद्योगों में से एक है, को हर महीने करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

उद्योगपतियों का कहना है कि किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है, और इससे उभरने में समय लगेगा। उनका यह भी मानना है कि यदि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो कई छोटे उद्योग बंद हो सकते हैं।

निष्कर्ष: आंदोलन के बाद की चुनौतियाँ

किसान आंदोलन ने पंजाब की अर्थव्यवस्था को एक बड़ा झटका दिया है। राज्य के व्यापारिक माहौल को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार को ठोस और दीर्घकालिक कदम उठाने होंगे। उद्योग जगत का कहना है कि किसान आंदोलन से पंजाब को 20000 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है, और इसका असर लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।

अगर सरकार सही दिशा में कदम उठाए और व्यापारिक माहौल को सुरक्षित बनाए, तो संभव है कि पंजाब की अर्थव्यवस्था को फिर से उभारा जा सके। लेकिन इसके लिए निरंतर प्रयास और सरकारी नीतियों में सुधार की आवश्यकता होगी।

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