🕒 Published 5 months ago (5:20 AM)
पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर: अंदर की पूरी कहानी
पंजाब में पिछले एक साल से शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को आखिरकार हटा दिया गया है। पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर, और इसके पीछे कई कारण हैं। एक तरफ अरविंद केजरीवाल का पंजाब दौरा, दूसरी तरफ लुधियाना के उपचुनाव और तीसरी तरफ राज्य के उद्योगपतियों का फीडबैक—ये सभी वजहें इस कार्रवाई के पीछे मानी जा रही हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि आखिरकार पंजाब पुलिस ने यह कड़ा कदम क्यों उठाया और इसका केजरीवाल के दौरे से क्या कनेक्शन है?
पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर: क्या है मुख्य वजह?
शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसानों को पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर इस प्रकार की कार्रवाई में देर रात बुलडोजर की मदद से किसानों के तंबू और अस्थाई ठिकानों को हटाया गया। ये धरना पिछले 13 महीनों से जारी था, और इसके कारण वहां के स्थानीय व्यापार और यातायात पर गहरा असर पड़ा था।
केजरीवाल के दौरे से क्या है कनेक्शन?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में पंजाब का दौरा किया था। उनके इस दौरे के दौरान लुधियाना के उद्योगपतियों ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व को बताया कि अगर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी रहा, तो इसका सीधा असर आगामी लुधियाना उपचुनाव पर पड़ेगा। उद्योगपतियों ने बताया कि किसानों के प्रदर्शन से स्थानीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इसलिए पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर, ताकि राज्य की आर्थिक गतिविधियों को फिर से पटरी पर लाया जा सके।
लुधियाना उपचुनाव का असर
आम आदमी पार्टी के लिए लुधियाना उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि पार्टी ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी प्रकार का विरोध-प्रदर्शन चुनावी रणनीति को प्रभावित न करे। पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर इस बात का संकेत है कि पार्टी ने चुनावी राजनीति को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया।
पंजाब पुलिस की रणनीति और किसान नेता
जब किसान नेता चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों से बैठक के लिए गए थे, तब ही पंजाब पुलिस ने मौके का फायदा उठाया। किसान नेताओं की गैर-मौजूदगी में पुलिस ने धरना स्थल पर कार्रवाई की और पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर। इस कार्रवाई के दौरान कई किसान नेताओं को हिरासत में भी लिया गया। जेसीबी की मदद से पुलिस ने किसानों के टेंटों और अस्थाई संरचनाओं को हटा दिया, और इस प्रकार से शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर को पूरी तरह से खाली कर दिया गया।
सरकार की तैयारी और रणनीति
यहां यह ध्यान देने योग्य है कि पंजाब सरकार ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी। पुलिस बल और पानी की बौछारें वहां तैनात कर दी गई थीं। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि किसी भी प्रकार का बड़ा विरोध प्रदर्शन न हो। इसलिए जैसे ही मौका मिला, पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर और दोनों बॉर्डर पूरी तरह से खुलवा दिए गए।
कांग्रेस और बीजेपी का विरोध
हालांकि, इस कार्रवाई के बाद पंजाब की राजनीतिक स्थिति भी गरमा गई है। कांग्रेस और बीजेपी ने भगवंत मान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। उनका आरोप है कि सरकार ने चुनाव जीतने के लिए यह कदम उठाया।
वहीं, आम आदमी पार्टी के समर्थकों का कहना है कि राज्य के उद्योग और व्यापार को नुकसान हो रहा था, और इसी कारण पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर। पंजाब के वित्त मंत्री हारपाल सिंह चीमा ने भी यही बात कही कि किसानों का विरोध केंद्र सरकार से है, न कि पंजाब सरकार से, इसलिए उन्हें दिल्ली जाकर धरना देना चाहिए।
किसान आंदोलन की वर्तमान स्थिति
अब जब पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर, तो सवाल उठता है कि किसानों की अगली रणनीति क्या होगी? क्या वो अपने आंदोलन को नए सिरे से संगठित करेंगे या फिर सरकार के खिलाफ कोई और कड़ा कदम उठाएंगे? किसान नेता अभी भी इस मामले पर अपने विचार साझा नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है।
किसानों की प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद कई किसान संगठनों ने सरकार की आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार ने बिना किसी उचित सूचना के इस प्रकार का कदम उठाया, जिससे किसानों के साथ विश्वासघात हुआ है। वहीं, पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर इस बात का प्रतीक है कि सरकार अब और अधिक धैर्य नहीं दिखाना चाहती थी।
निष्कर्ष
इस पूरी घटना से यह साफ होता है कि पंजाब की राजनीति और किसान आंदोलन अब एक नए मोड़ पर आ गए हैं। अरविंद केजरीवाल के पंजाब दौरे और लुधियाना के उद्योगपतियों के फीडबैक ने इस कार्रवाई को और भी तेज कर दिया। पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर के साथ ही अब सवाल उठता है कि आगे क्या होगा? क्या यह कदम आम आदमी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा या किसानों का आंदोलन और भी बड़ा रूप ले लेगा?
पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को किया बाहर यह कदम एक नए सियासी समीकरण को जन्म दे सकता है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं।
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