🕒 Published 2 months ago (5:56 PM)
गंजेपन और समय से पहले चेहरे पर पड़ रही झुर्रियों से परेशान लोगों के लिए मेडिकल साइंस की दुनिया से एक राहत भरी खबर सामने आई है। अब इन समस्याओं का समाधान किसी दवाई या महंगे कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट में नहीं, बल्कि आपके अपने खून की एक बूंद में छिपा है। महज 20 मिलीलीटर खून से निकाले गए प्लेटलेट्स (Platelets) न सिर्फ झड़ते बालों को फिर से उगा सकते हैं, बल्कि चेहरे की खूबसूरती भी लौटा सकते हैं।
बाल और त्वचा की मरम्मत में कारगर प्लेटलेट्स थेरेपी
प्लेटलेट्स में मौजूद ग्रोथ फैक्टर्स की विशेष क्षमता के चलते पहले इसे गठिया और स्पॉन्डिलाइटिस जैसे रोगों में इस्तेमाल किया गया था। अब इसी तकनीक को कॉस्मेटिक और हेयर ट्रीटमेंट के क्षेत्र में भी आजमाया जा रहा है, जहां इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
संक्रमण का नहीं रहता खतरा
चूंकि यह थेरेपी व्यक्ति के अपने खून से की जाती है, इसलिए संक्रमण का खतरा लगभग न के बराबर होता है। जबकि बाहरी रक्त से इलाज कराने में संक्रमण की आशंका बनी रहती है। यही वजह है कि विदेशों में यह तकनीक पहले से ही लोकप्रिय है और अब भारत के चुनिंदा केंद्रों पर भी इसका सफल प्रयोग शुरू हो चुका है।
कैसे काम करती है यह थेरेपी?
इस प्रक्रिया में मरीज के खून से प्लेटलेट्स निकालकर इंजेक्शन के माध्यम से गंजेपन वाले हिस्से में डाला जाता है। प्लेटलेट्स वहां जाकर बंद हो चुके ग्रोथ फैक्टर्स को पुनः सक्रिय करते हैं, जिससे बालों के फॉलिकल फिर से जाग्रत हो जाते हैं और नए बाल उगने लगते हैं। इससे बालों का झड़ना भी रुकता है और स्कैल्प की ग्रोथ प्रक्रिया में तेजी आती है।
झुर्रियों में भी दिखा चमत्कारी असर, बूटॉक्स से बेहतर साबित
प्लेटलेट्स न केवल बालों के लिए, बल्कि त्वचा की देखभाल में भी क्रांतिकारी भूमिका निभा रहे हैं। यह त्वचा में कोलेजन उत्पादन को सक्रिय करते हैं, जो त्वचा की लोच और नमी बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। उम्र बढ़ने के साथ कोलेजन की कमी से जो झुर्रियां और महीन रेखाएं उभरती हैं, उन्हें यह थेरेपी कम कर देती है। यह थेरेपी बूटॉक्स से भी बेहतर परिणाम दे रही है, और महज तीन से चार सिटिंग्स में इसका असर दिखने लगता है।
डिस्क्लेमर:
यह रिपोर्ट केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। प्लेटलेट्स थेरेपी शुरू करने से पहले किसी योग्य त्वचा रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है, इसलिए उपचार का तरीका भी अलग हो सकता है।