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पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में विरोध प्रदर्शन, भारत ने किया कड़ा रुख

नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 4 अक्टूबर 2025:पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (पीएके) में 29 सितंबर से जारी विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह पाकिस्तान के दमनकारी रवैये का नतीजा है और पाकिस्तान को मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

भारत का बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू और कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टें देखी हैं, जिनमें निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना की बर्बरता भी शामिल है। हमारा मानना है कि यह पाकिस्तान के दमनकारी रवैये का परिणाम है।”

हड़ताल का पांचवां दिन

शुक्रवार को पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हड़ताल का पांचवां दिन था। इस दौरान सभी बाज़ार, सड़कें और सार्वजनिक परिवहन बंद रहे, जबकि कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने गुरुवार को बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की और प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण रहने का आग्रह किया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को संयम बरतने का निर्देश भी दिया।

प्रधानमंत्री की ओर से बातचीत के लिए बनाई गई कमेटी ने जम्मू-कश्मीर जॉइंट आवामी एक्शन कमेटी (जेकेजेएएसी) के साथ शुक्रवार को दूसरे दौर की वार्ता की, लेकिन दोनों पक्षों में कोई ठोस समझौता नहीं हो सका।

गृह राज्य मंत्री का बयान

बीबीसी संवाददाता फरहत जावेद ने इस मामले पर पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी से बातचीत की। उन्होंने कहा, “बातचीत हो रही है। अगर 80% मांगें मान ली जाएं तो हिंसा का कोई रास्ता बचता है क्या? केंद्र सरकार का रवैया अब भी बहुत उदार है। कश्मीर के प्रति शहबाज़ साहब का नरम रवैया रहा है। यह अफ़सोसजनक है कि लोगों की जान गई। अब गेंद प्रदर्शनकारियों के पाले में है।”

विरोध प्रदर्शन की वजह

जम्मू-कश्मीर जॉइंट आवामी एक्शन कमेटी के आह्वान पर इलाके में हड़ताल शुरू हुई। इस 38-सूत्री मांग पत्र में सरकारी खर्च में कटौती, विधानसभा सीटों पर आपत्ति, मुफ़्त शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना जैसी मांगें शामिल हैं।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार दो साल पहले हुए समझौते को पूरी तरह लागू करने में विफल रही है। प्रशासन ने विरोधों को काबू में करने के लिए लैंडलाइन, मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया को आंशिक रूप से बंद कर दिया।

दैनिक जीवन पर प्रभाव

हड़ताल और विरोध प्रदर्शनों के कारण दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बाजार बंद हैं, सड़कें खाली हैं और लोग अपने घरों में सीमित रूप से ही बाहर जा रहे हैं।

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