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तमिलनाडु बीजेपी में सियासी हलचल तेज! अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा, अब किसे सौंपी जाएगी कमान?

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तमिलनाडु बीजेपी में सियासी हलचल तेज! अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा, अब किसे सौंपी जाएगी कमान?

चेन्नई – तमिलनाडु की राजनीति में एक बार फिर गरमाहट बढ़ गई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा अब सियासी गलियारों में चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। लोकसभा चुनावों के झटके, एआईएडीएमके के साथ बिगड़ते रिश्ते और अंदरूनी खींचतान के बीच अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा एक बड़ा मोड़ साबित हो रहा है। तमिलनाडु की राजनीति में कई पेंच पहले ही उलझे हुए थे, अब इस इस्तीफे ने आग में घी डालने का काम कर दिया है।

क्या वाकई में अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा हो चुका है?

हालांकि अन्नामलाई ने अब तक सार्वजनिक मंच से इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो उन्होंने दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के दौरान इस्तीफा सौंप दिया है। अन्नामलाई ने शुक्रवार को बयान दिया कि वे राज्य नेतृत्व की रेस में नहीं हैं और यह भी साफ कर दिया कि वे पार्टी के अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं। यह साफ संकेत है कि अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा अंदरखाने मंजूर किया जा चुका है और बस औपचारिक ऐलान बाकी है।

क्यों देना पड़ा अन्नामलाई को इस्तीफा?

अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा कई वजहों से चर्चा में है। सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है – एआईएडीएमके के साथ उनका तनावपूर्ण रिश्ता। अन्नामलाई शुरू से ही क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के खिलाफ रुख रखते आए हैं, खासकर एआईएडीएमके से। मगर, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व अब एक बार फिर AIADMK के साथ गठबंधन को मजबूरी में स्वीकार कर चुका है। यही वजह है कि गठबंधन की राह में सबसे बड़ी दीवार – अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा – जरूरी बन गया था।

सूत्रों का कहना है कि एआईएडीएमके ने बीजेपी को स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर गठबंधन को दोबारा जीवित करना है तो अन्नामलाई को हटाना होगा। पार्टी हाईकमान ने राजनीतिक गणित और आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया।

जातीय समीकरणों का भी है बड़ा रोल

तमिलनाडु की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। अन्नामलाई वेल्लालर जाति से आते हैं, जबकि बीजेपी अब पिछड़ी जातियों और दलितों को साधने की रणनीति बना रही है। ऐसे में अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा इस रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी जातीय समीकरणों को साधना चाहती है ताकि राज्य में अपना आधार बढ़ाया जा सके।

नया अध्यक्ष कौन? इन नामों पर चर्चा तेज

अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा सामने आने के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर टिक गई हैं कि आखिर अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? जिन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें प्रमुख हैं:

  • एल. मुरुगन – केंद्रीय मंत्री और पार्टी के पुराने विश्वसनीय नेता

  • तमिलसाई सौंदरराजन – पूर्व राज्यपाल और लोकसभा चुनावों में सक्रिय चेहरा

  • नैना नागेंद्रन – युवा चेहरा, बीजेपी के नए प्रयोग की मिसाल

कहा जा रहा है कि 9 अप्रैल को नए अध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा की जा सकती है। ऐसे में अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है ताकि पार्टी सही समय पर बदलाव कर सके।

अन्नामलाई की अब क्या भूमिका होगी?

भले ही अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा हो गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्नामलाई राजनीति से रिटायर हो रहे हैं। वे अब भी पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें केंद्र में कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है या उन्हें तमिलनाडु में संगठन का कोई दूसरा रोल दिया जाएगा।

पार्टी में उठे सवाल – जनता के मन में भी हलचल

अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा केवल पद परिवर्तन नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अन्नामलाई की छवि एक ईमानदार, तेजतर्रार और जमीनी नेता की थी। वे हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल और कन्नड़ – चार भाषाओं में धाराप्रवाह बोल सकते थे और युवाओं में खासे लोकप्रिय थे।

अब जनता के मन में यह सवाल उठना लाजमी है – क्या बीजेपी ने एक उभरते नेता को सिर्फ गठबंधन की राजनीति के कारण बलि का बकरा बना दिया?

2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी

2026 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव होने हैं। अभी से ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी बिसात बिछा रहे हैं। बीजेपी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। लोकसभा चुनावों में झटका मिलने के बाद अब वह पहले से ज्यादा सतर्क है। ऐसे में अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा है।

भाजपा जानती है कि डीएमके और कांग्रेस गठबंधन के सामने खड़ा होना आसान नहीं होगा। इसलिए वह एआईएडीएमके के साथ फिर से गठजोड़ करके एक मजबूत मोर्चा तैयार करना चाहती है।

जनता की प्रतिक्रिया – सोशल मीडिया पर हंगामा

अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा जैसे ही मीडिया में आया, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ट्विटर पर #AnnamalaiResigns ट्रेंड करने लगा। कई लोग इसे राजनीति का धोखा बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे राजनीतिक चतुराई कह रहे हैं।

फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा, “बीजेपी ने अपना सबसे दमदार खिलाड़ी मैदान से बाहर कर दिया। अब कौन लड़ेगा डीएमके से?” वहीं एक अन्य ने कहा, “राजनीति में फैसले दिल से नहीं, दिमाग से होते हैं। अच्छा हुआ अन्नामलाई हटे, गठबंधन का रास्ता साफ हुआ।”

निष्कर्ष: अब आगे क्या?

अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा तमिलनाडु बीजेपी की रणनीति में एक नया अध्याय जोड़ता है। अब पार्टी को नए अध्यक्ष के साथ नए तेवर और रणनीति की जरूरत होगी। क्या बीजेपी दोबारा एआईएडीएमके के साथ सत्ता की राह पर लौट पाएगी? क्या अन्नामलाई को कोई और बड़ी भूमिका मिलेगी? क्या डीएमके की मज़बूत पकड़ को बीजेपी तोड़ पाएगी?

इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे, लेकिन इतना तय है कि अध्यक्ष अन्नामलाई का इस्तीफा सिर्फ एक पद छोड़ना नहीं, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में एक नई कहानी की शुरुआत है।

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Pragati Tomer

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