Trump Nobel Nomination: ट्रंप के नोबेल नामांकन पर पाकिस्तान में सियासी घमासान, ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद शहबाज सरकार चौतरफा घिरी

By Isha prasad

🕒 Published 1 month ago (2:05 PM)

Trump Nobel Nomination: पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले पर देश के भीतर ही सियासी घमासान छिड़ गया है। यह विवाद तब और गहरा गया जब ट्रंप की इस सिफारिश के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया। विपक्ष और विभिन्न संगठनों ने इस फैसले को शर्मनाक बताते हुए सरकार से तत्काल नामांकन वापस लेने की मांग की है।

सिफारिश और उसके बाद का घटनाक्रम

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अचानक घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की कथित भूमिका को देखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। इसके तहत, उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल कमेटी को सिफारिश पत्र भी भेज दिया। हालांकि, ईरान पर अमेरिकी हमले के तुरंत बाद, पाकिस्तान में सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना शुरू हो गई है।

विपक्षी दलों और विश्लेषकों की तीखी प्रतिक्रिया

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने सरकार से इस सिफारिश को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति ने ईरान, फिलिस्तीन, सीरिया और लेबनान पर हमलों का समर्थन किया हो, उसे शांति पुरस्कार कैसे दिया जा सकता है? फजल ने यह भी आरोप लगाया कि सेना प्रमुख असीम मुनीर से ट्रंप की मुलाकात के बाद ही पाक हुक्मरानों ने यह सिफारिश की।

पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन ने ट्रंप को ‘शांति दूत’ के बजाय ‘युद्ध का समर्थक’ बताते हुए पाकिस्तान सरकार से सिफारिश वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के चंगुल में फंसा लिया है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता अली मोहम्मद खान ने इस सिफारिश पर ‘पुनर्विचार’ की बात कही, वहीं पार्टी के थिंक-टैंक प्रमुख रऊफ हसन ने इसे पाकिस्तान के लिए शर्मनाक बताया। हसन ने कहा कि ईरान पर अमेरिकी हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन है और ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करना पाकिस्तान की साख पर धब्बा है।

पूर्व राजदूत मलीहा लोधी और लेखक-कार्यकर्ता फातिमा भुट्टो ने भी इस फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई। वरिष्ठ पत्रकार मरियाना बाबर ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की छवि और खराब कर दी है।

अब यह देखना होगा कि देश के भीतर बढ़ते दबाव के बीच शहबाज सरकार अपने इस फैसले पर कायम रहती है या डोनाल्ड ट्रंप का नोबेल नामांकन वापस लेती है।

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