🕒 Published 4 months ago (5:30 AM)
Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान: नीतीश की पार्टी ने इस्तीफा देने वालों से झाड़ा पल्ला, कहा- हमारे नहीं थे!
पटना की राजनीति इन दिनों उबलते पानी जैसी गरम है। वजह? वक्फ संशोधन विधेयक 2025। जी हां, वही बिल जिसने नीतीश कुमार की पार्टी JDU के भीतर भूचाल ला दिया है। Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान मच गया है और इसकी गूंज दिल्ली से लेकर चंपारण तक सुनाई दे रही है।
राज्यसभा में पास हुआ बिल, बिहार में सियासी विस्फोट!
गुरुवार-शुक्रवार की रात 2 बजकर 32 मिनट पर जब राज्यसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को पारित किया, किसी ने नहीं सोचा था कि इसका सबसे बड़ा धमाका बिहार में होगा। मगर हुआ वही जो राजनीति में अक्सर होता है—एक फैसला, कई नाराज़गियां।
Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान इस कदर भड़का कि पार्टी के दो ‘वरिष्ठ’ नेताओं ने इस्तीफे की घोषणा कर दी। मोहम्मद कासिम अंसारी और शाह नवाज मलिक—इन दोनों ने पार्टी की मुस्लिम समर्थक छवि पर सवाल उठाते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।
जेडीयू ने खुद के नेताओं को ही नकारा!
अब दिलचस्प बात ये रही कि पार्टी ने इन नेताओं को पहचानने से ही इंकार कर दिया। JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, “ये कौन लोग हैं? पार्टी में कभी कोई जिम्मेदारी संभाली हो तो बताएं। हमने इन्हें कभी नहीं देखा!”
अब बताइए! Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान चल रहा है, लोग इस्तीफा दे रहे हैं और पार्टी कह रही है कि ये हमारे ही नहीं हैं। राजनीति में इससे बड़ा ट्विस्ट क्या हो सकता है?
कासिम अंसारी: जिनका भरोसा टूटा
पूर्वी चंपारण के रहने वाले मोहम्मद कासिम अंसारी ने खुद को जेडीयू के चिकित्सा प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बताया। उनका कहना है कि जेडीयू के वक्फ बिल पर स्टैंड ने भारतीय मुसलमानों के भरोसे को तोड़ा है। उन्होंने नीतीश कुमार को लिखे खत में कहा:
“हमारे जैसे लाखों भारतीय मुसलमानों का आप पर अटूट विश्वास था, लेकिन अब ये भरोसा टूट गया है।”
Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान इतना गहरा हो गया है कि कासिम अंसारी ने पार्टी के सभी पदों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया।
शाह नवाज मलिक: अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का गुस्सा
दूसरे इस्तीफा देने वाले नेता शाह नवाज मलिक हैं, जिन्होंने खुद को पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का सचिव बताया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि:
“वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन से मुसलमान और खासकर हम जैसे कार्यकर्ता स्तब्ध हैं। ये हमारी धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।”
जैसे ही इन इस्तीफों की खबर मीडिया में फैली, Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई।
नीतीश कुमार की चुप्पी और पार्टी का बचाव
अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पूरे मामले पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है। मगर पार्टी के सीनियर नेता विजय कुमार चौधरी ने मीडिया से कहा:
“इस बिल पर पार्टी के भीतर कोई भ्रम नहीं है। हम सभी इसका समर्थन कर रहे हैं।”
यानि कि साफ है, पार्टी लाइन तय है। कोई भटकेगा तो उसे “हमारे नहीं थे” कहकर बाहर कर दिया जाएगा।
Waqf Bill 2025: आखिर इतना बवाल क्यों?
अब सवाल ये उठता है कि इस बिल में ऐसा क्या है जिससे JDU के मुस्लिम चेहरे असहज हो गए?
मुख्य बिंदु:
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी को मंजूरी
सरकारी निगरानी बढ़ाने का प्रावधान
वक्फ बोर्ड के अधिकार सीमित करना
इस पर कई मुस्लिम संगठनों का कहना है कि ये बिल मुस्लिमों की धार्मिक और सामुदायिक संपत्तियों पर सीधा हमला है। यही कारण है कि Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा।
कांग्रेस और RJD ने भुनाया मुद्दा
विपक्षी पार्टियां कैसे चुप रहतीं! कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा:
“JDU सत्ता और सीट के लिए बीजेपी के सामने झुक गई है।”
कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार से पूछा कि क्या सेक्युलरिज्म अब सिर्फ एक दिखावा रह गया है?
एक तरफ पार्टी समर्थन कर रही है और दूसरी तरफ उनके खुद के अल्पसंख्यक नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। यही तो असली वजह है कि Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान अब पूरे बिहार की जनता का मुद्दा बन चुका है।
जेडीयू की दोहरी चाल?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नीतीश कुमार केंद्र से संबंध बनाए रखने के लिए इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम वोट बैंक को संभालने की कोशिश में पार्टी के प्रवक्ताओं से कहवा रहे हैं कि “इस्तीफा देने वाले तो हमारे थे ही नहीं!”
Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान असल में पार्टी की “दो नावों की सवारी” को उजागर कर रहा है—एक तरफ केंद्र की बीजेपी, दूसरी तरफ राज्य का मुस्लिम वोट बैंक।
क्या और भी होंगे इस्तीफे?
सूत्रों की मानें तो कई और मुस्लिम नेता पार्टी के स्टैंड से नाखुश हैं। कुछ ने अंदरखाने इस्तीफे की तैयारी कर ली है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो नीतीश कुमार के लिए 2025 का विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाला।
जनता की राय क्या कहती है?
सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा है। ट्विटर पर #WaqfBill2025, #JDUResign और #SecularismUnderAttack ट्रेंड कर रहे हैं। फेसबुक पर लोग पूछ रहे हैं—“क्या नीतीश कुमार ने मुस्लिम मतदाताओं से दूरी बना ली है?”
निष्कर्ष: सियासत का असली चेहरा उजागर
Waqf Bill 2025 पर JDU में घमासान सिर्फ एक बिल का विरोध नहीं है, ये उस गहराते राजनीतिक संकट का संकेत है जिसमें नेता पार्टी की रीति-नीति से खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।
जिस पार्टी पर एक समय मुस्लिम समुदाय आंख मूंदकर भरोसा करता था, आज उसी पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं—“वो तो हमारे नेता थे ही नहीं।”
राजनीति में इस तरह का सस्पेंस, ट्विस्ट और ड्रामा कम ही देखने को मिलता है। आने वाले दिन बताएंगे कि यह घमासान JDU के लिए कितना भारी पड़ता है।
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