🕒 Published 5 months ago (6:51 AM)
बांग्लादेश में एक बार फिर राजनीतिक हालात तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। देश की सेना और कार्यवाहक सरकार के बीच टकराव के संकेत मिलने लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना ने 9वीं डिवीजन के जवानों को बख्तरबंद वाहनों के साथ ढाका में तैनात करने का आदेश दिया है। हर ब्रिगेड से सौ-सौ सैनिकों की तैनाती की जा रही है, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि सेना देश में बड़ा कदम उठा सकती है। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब सेना और छात्रों के बीच हालिया विवाद सामने आया, जिसने पूरे घटनाक्रम को और पेचीदा बना दिया है।
क्या यूनुस सरकार खतरे में है?
बांग्लादेश की राजनीति में यह मोड़ तब आया जब शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद मोहम्मद यूनुस को कार्यवाहक सरकार का प्रमुख बनाया गया। उनकी नियुक्ति को लेकर पहले ही विवाद था, लेकिन अब उनके शासनकाल में भारत और अमेरिका से संबंधों में तनाव बढ़ गया है। बांग्लादेश के सुरक्षा सूत्रों का मानना है कि सेना अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एहतियाती कदम उठा रही है और आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।

सेना के बढ़ते कदम और बढ़ती बेचैनी
बांग्लादेश की सेना कुल 10 डिवीजन में बंटी हुई है, जिनमें से 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन सावर में और 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन घाटाइल में स्थित है। हाल के दिनों में सेना के शीर्ष अधिकारियों की नाराजगी सामने आई है। ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शाजिब भुइयां के एक वीडियो ने बवाल मचा दिया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान नहीं चाहते थे कि मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया जाए। हालांकि, उन्होंने अंततः इस फैसले पर सहमति दे दी।
छात्रों का गुस्सा और सेना की चिंता
इसी बीच, छात्र नेता हसनात अब्दुल्ला ने 11 मार्च को जनरल ज़मान से गुप्त मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने सेना के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की धमकी दे दी। इस पूरे घटनाक्रम ने बांग्लादेश की सेना को असमंजस में डाल दिया है। उन्हें डर है कि देश में एक और बड़ा छात्र आंदोलन खड़ा हो सकता है, जिससे उनकी साख को नुकसान पहुंच सकता है।
क्या बिगड़ेगी कानून व्यवस्था?
बांग्लादेश में हालात कब बदल जाएं, कहना मुश्किल है। ऐसी अटकलें हैं कि यदि कानून व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ती है तो मोहम्मद यूनुस अपनी 26 मार्च को प्रस्तावित चीन यात्रा रद्द कर सकते हैं। वहीं, 11 मार्च की गुप्त बैठक का खुलासा होने के बाद से बांग्लादेश में कई लोग इस घटनाक्रम को सेना के खिलाफ एक रणनीति के रूप में देख रहे हैं, जिससे उनका गुस्सा और बढ़ सकता है।
बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखकर यह कहना मुश्किल है कि सेना कोई कठोर कदम उठाएगी या नहीं, लेकिन इस उथल-पुथल के बीच सरकार और सेना के बीच बढ़ता तनाव निश्चित रूप से देश की राजनीति को एक और बड़ा मोड़ दे सकता है।
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