दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने साफ कहा कि किसी भी व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यता, डिग्री या मार्कशीट जैसी जानकारियां व्यक्तिगत दायरे में आती हैं और सूचना के अधिकार कानून (RTI) की धारा 8(1)(j) के तहत सुरक्षित होती हैं। इसलिए इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
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CIC के आदेश पर रोक
यह फैसला उस याचिका पर आया जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के 2016 के आदेश को चुनौती दी गई थी। उस आदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया गया था कि वह पीएम मोदी की डिग्री का रिकॉर्ड सार्वजनिक करे। अब हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल राजनीतिक कारणों या जिज्ञासा की वजह से किसी की निजी जानकारी उजागर करना सही नहीं होगा।
सरकार और विश्वविद्यालय का पक्ष
इस केस में दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि निजता का अधिकार, जानकारी पाने के अधिकार से ऊपर है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अदालत को रिकॉर्ड दिखाने के लिए तैयार है, लेकिन किसी अज्ञात व्यक्ति को यह उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। विश्वविद्यालय का तर्क था कि छात्र रिकॉर्ड उसके पास फिड्यूशियरी जिम्मेदारी यानी गोपनीय भरोसे के तहत सुरक्षित है।
2016 की आरटीआई से शुरू हुआ विवाद
2016 में आरटीआई कार्यकर्ता नीरज ने आवेदन देकर 1978 में बीए पास करने वाले सभी छात्रों की सूची मांगी थी। यही वह साल है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने स्नातक करने का दावा किया था। उस समय CIC ने जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था, लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते मामला अटक गया और अब हाईकोर्ट ने अंतिम रूप से इसे खारिज कर दिया है।
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