संसद सत्र: वोटर लिस्ट विवाद, नई शिक्षा नीति और विपक्ष का हंगामा

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By Ankit Kumar

भारतीय संसद बजट सत्र हमेशा से ही राजनीतिक हलचल का केंद्र रहा है। हाल ही, संसद के बजट सत्र के दूसरे फेज की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। विपक्ष ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया, जबकि DMK सांसदों ने नई शिक्षा नीति (NEP) और ट्राय-लैंग्वेज प्रणाली का विरोध किया। इस लेख में, हम इन विवादों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे और सरकार तथा विपक्ष के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करेंगे।

लोकसभा में वोटर लिस्ट पर राहुल गांधी का बयान

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देशभर में वोटर लिस्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि विपक्ष की मुख्य मांग यही है कि वोटर लिस्ट पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह बना हुआ है। विपक्षी दलों का मानना है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर सकती हैं।

 

DMK सांसदों का ट्राय-लैंग्वेज और नई शिक्षा नीति पर विरोध

जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई, तब DMK सांसदों ने नई शिक्षा नीति और ट्राय-लैंग्वेज प्रणाली का विरोध किया। उन्होंने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने जाकर नारेबाजी की, जिससे लोकसभा स्पीकर को सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

नई शिक्षा नीति (NEP) और ट्राय-लैंग्वेज विवाद: नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत छात्रों को तीन भाषाएं पढ़ने का प्रावधान है। इसमें स्थानीय भाषा के अलावा हिंदी और अंग्रेजी को भी अनिवार्य किया गया है। तमिलनाडु सरकार इस नीति का विरोध कर रही है और दावा कर रही है कि हिंदी भाषा को जबरदस्ती उन पर थोपा जा रहा है।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का जवाब: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि DMK सांसद छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने DMK को ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘असभ्य’ करार दिया। प्रधान ने यह भी कहा कि तमिलनाडु में पीएम श्री स्कूलों में केवल तमिल भाषा में शिक्षा दी जाएगी, फिर भी DMK सरकार विरोध कर रही है।

लोकसभा स्पीकर का हस्तक्षेप और DMK सांसद दयानिधि मारन के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध

DMK सांसदों द्वारा सदन की कार्यवाही बाधित करने के बाद, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की कुछ टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया। इसके बावजूद, विपक्षी नेताओं का हंगामा जारी रहा। स्पीकर ने चेतावनी दी कि सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए जो भी सांसद अनुशासन तोड़ेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, सत्ता पक्ष ने DMK सांसद दयानिधि मारन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अनुरोध किया।

राज्यसभा में विपक्ष का वॉकआउट और कांग्रेस का आरोप

लोकसभा में हंगामे के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। विपक्षी नेताओं ने डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र और विदेशी फंडिंग जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की, लेकिन जब इन मुद्दों पर नोटिस खारिज कर दिए गए, तो उन्होंने सदन का बहिष्कार किया।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार के प्रभाव में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग सरकार के पक्ष में झुका रहेगा, तो निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं होंगे। उनका यह भी कहना था कि लोकतंत्र को केवल दिखावे का बना दिया गया है और सरकार की मनमानी जारी है।

 

सरकार की प्रतिक्रिया और भाजपा का रुख

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष केवल हंगामा करने में रुचि रखता है। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रक्रिया का सम्मान किया जाना चाहिए और सभी दलों को लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करना चाहिए।

लोकसभा और राज्यसभा में हुए इस हंगामे से स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में मतभेद गहरे होते जा रहे हैं। विपक्ष और सरकार के बीच विचारधारात्मक संघर्ष जारी है। वोटर लिस्ट की पारदर्शिता, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, नई शिक्षा नीति और भाषाई विवाद जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की जरूरत है।

हालांकि, संसद में हो रहे लगातार हंगामे और बहिष्कार से आम जनता का विश्वास संसदीय प्रणाली से कमजोर हो सकता है। यह जरूरी है कि सभी दल लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखते हुए संवाद के जरिए समाधान खोजें। अगर संसद में सार्थक चर्चा नहीं होगी, तो लोकतांत्रिक व्यवस्था केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी।

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