वक्फ संशोधन बिल पर संसद में ब्रीफिंग रद्द: क्या सरकार विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के दबाव में है?

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By Ankit Kumar

🕒 Published 4 months ago (6:26 AM)

वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में विवाद गहराता जा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हैं। बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए, सरकार अब इस बिल को मौजूदा बजट सत्र में पेश करने से पीछे हट सकती है।

संसद में प्रस्तावित ब्रीफिंग क्यों हुई रद्द?

इस बिल को लेकर बुधवार को संसद भवन में सांसदों के लिए एक ब्रीफिंग आयोजित की जानी थी, जिसमें लोकसभा सचिवालय और अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारी बिल की रूपरेखा समझाने वाले थे। लेकिन मंगलवार रात अचानक इस ब्रीफिंग को रद्द कर दिया गया, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद मौजूदा बजट सत्र में यह बिल पेश ही न किया जाए।

क्या इस सत्र में पेश होगा वक्फ संशोधन बिल?

बजट सत्र का दूसरा चरण 4 अप्रैल तक चलेगा, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस बिल को पेश करने को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पहले, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में यह तय किया गया था कि शनिवार को संसद का सत्र चलेगा, लेकिन अब वह भी रद्द कर दिया गया है। इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार इस बिल को विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते टाल सकती है।

 

बिहार चुनाव और मुस्लिम वोट बैंक का गणित

बिहार में 6-7 महीनों के भीतर चुनाव होने वाले हैं और यहां मुस्लिम आबादी करीब 17% है, जो कई सीटों पर चुनावी समीकरण तय कर सकती है। सरकार इस बात को लेकर सतर्क है कि अगर वक्फ संशोधन बिल के बहाने विपक्षी पार्टियां मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में सफल हो गईं, तो इसका असर बिहार चुनावों में बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।

बिहार में इफ्तार पार्टी विवाद से बढ़ी चिंता

हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी का बहिष्कार कई मुस्लिम संगठनों ने किया। इससे एनडीए सरकार की चिंता और बढ़ गई है। अगर सरकार वक्फ संशोधन बिल लेकर आती है, तो यह मुद्दा और भड़क सकता है और बिहार चुनाव में बीजेपी को नुकसान हो सकता है।

भाजपा की अल्पसंख्यकों को साधने की रणनीति

बिल को लेकर बढ़ते विरोध को देखते हुए, भाजपा ने मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को लुभाने के लिए ‘सौगात ए मोदी’ जैसे कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। इस कदम को अल्पसंख्यकों को नाराज होने से रोकने और चुनावी नुकसान से बचने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या सरकार वक्फ संशोधन बिल को टालेगी?

बिल पर बढ़ते विरोध और बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए, ऐसा लग रहा है कि सरकार इस सत्र में वक्फ संशोधन बिल लाने से बच सकती है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन संसद में प्रस्तावित ब्रीफिंग के रद्द होने से संकेत मिल रहे हैं कि यह बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में जा सकता है।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन बिल को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है। विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आ सकती है। बिहार चुनावों को देखते हुए, बीजेपी शायद इस मुद्दे को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल सकती है ताकि चुनावी नुकसान से बचा जा सके।

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