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Murshidabad Violence: “अगर नहीं भागते, तो मारे जाते…” – मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद दहशत, सैकड़ों ने छोड़ा अपना घर

Murshidabad Violence: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ शुक्रवार को हुए विरोध प्रदर्शन ने देखते ही देखते सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया। इस हिंसा ने न केवल जन-जीवन को अस्त-व्यस्त किया, बल्कि सैकड़ों लोगों को अपने घर-बार छोड़कर भागने के लिए मजबूर कर दिया।

सड़कें वीरान, लोग डरे सहमे

हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद के धूलियान, सुती, शमशेरगंज और जंगीपुर जैसे इलाके पूरी तरह से सन्नाटे में डूब गए हैं। दुकानें बंद हैं, सड़कों पर चहल-पहल नहीं है और लोग अपने घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और केंद्रीय बल लगातार गश्त कर रहे हैं।

भागीरथी नदी पार कर मालदा पहुंचे लोग

हिंसा से भयभीत सैकड़ों लोगों ने भागीरथी नदी पार कर मालदा जिले में शरण ली है। जिला प्रशासन ने इन विस्थापित परिवारों के लिए स्कूलों में अस्थायी आश्रय और भोजन की व्यवस्था की है। नदी किनारे स्वयंसेवकों की टीम भी तैनात की गई है जो नावों से आने वाले लोगों की मदद कर रही है।

“हमारे घर जलाए गए, महिलाओं से बदसलूकी हुई”

एक पीड़ित महिला ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ धूलियान के मंदिरपाड़ा इलाके से भागी, क्योंकि उनके घर में आग लगा दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने बम फेंके, महिलाओं से अभद्रता की और धमकी दी कि वे तुरंत घर खाली करें।
“हमने कुछ नहीं किया था, फिर भी हम पर हमला किया गया। पुरुषों को पीटा गया और हमें जान बचाकर भागना पड़ा,” महिला ने कहा।

“हम माफी मांगते रहे… लेकिन उन्होंने नहीं छोड़ा”

एक बुजुर्ग महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, “हम हमलावरों से हाथ जोड़कर माफी मांगते रहे, लेकिन उन्होंने हथियार लहराते हुए हमला किया। मुझे, मेरे बेटे, बहू और पोते को जान बचाकर भागना पड़ा। अगर नहीं भागते, तो मारे जाते।”

“हमारी दुकानें लूटी गईं, सिर्फ हमें निशाना बनाया गया”

हिंसा में नुकसान झेलने वाले एक दुकानदार ने कहा कि उनके पास की दुकानों को चुन-चुनकर लूटा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ हिंदुओं की दुकानों पर हमला किया, जबकि आसपास की मुस्लिम दुकानों को कुछ नहीं हुआ।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की तुष्टीकरण की नीति के चलते ही मुर्शिदाबाद में हालात बिगड़े हैं। उन्होंने दावा किया कि शमशेरगंज और धूलियान से सैकड़ों हिंदू परिवार जान बचाकर मालदा के परलालपुर गांव पहुंचे हैं।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि धूलियान से करीब 400 लोग पलायन कर चुके हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य की एजेंसियों से इन लोगों की सुरक्षित वापसी की मांग की है।

स्थानीय प्रशासन की पहल

देवनापुर-सोवापुर ग्राम पंचायत की प्रधान सुलेखा चौधरी ने बताया कि शनिवार रात तक 500 से अधिक लोग मालदा में पहुंच चुके थे, जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं। इन्हें स्कूलों में शरण दी गई है और भोजन की व्यवस्था की गई है। तृणमूल विधायक चंदना सरकार ने बताया कि नदी किनारे युवकों की टीम तैनात की गई है जो आने वाले लोगों की मदद कर रही है।

हर तरफ तबाही का मंजर

हिंसा के बाद रविवार को इलाके में जले हुए वाहन, लूटी गई दुकानें और क्षतिग्रस्त इमारतें दिखाई दीं। एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “सैकड़ों की संख्या में हथियारबंद लोग आए, बम फेंके, संपत्ति जलाकर चले गए। उन्होंने हमें चेतावनी दी कि हमारा समुदाय यहां नहीं रह सकता।”

अभी भी बना हुआ है तनाव

पुलिस और केंद्रीय बल संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं, लेकिन इलाके में अभी भी तनाव व्याप्त है। लोग डरे हुए हैं और अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हैं। कई पीड़ितों का कहना है कि वे तभी लौटेंगे जब प्रशासन सुरक्षा की पूरी गारंटी देगा।

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