पाकिस्तान सांसद का भड़काऊ भाषण: संसद में गजवा-ए-हिंद और यहूदियों के नरसंहार की वकालत, ISI की जिहादी मानसिकता पर भी उठे सवाल

By Hindustan Uday

🕒 Published 2 months ago (3:59 PM)

भारत से युद्ध और ऑपरेशन सिंदूर में करारी शिकस्त के बावजूद पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में गुरुवार, 19 जून 2025 को एक बार फिर भड़काऊ बयानबाज़ी देखने को मिली। सांसद मुजाहिद अली ने संसद में गजवा-ए-हिंद (भारत के खिलाफ धर्मयुद्ध) का ज़िक्र करते हुए हिंदुओं, यहूदियों और ईसाइयों को निशाना बनाने की बात कही। उन्होंने अपने भाषण में यहूदियों के नरसंहार तक की वकालत की, जिस पर संसद में मौजूद कई सदस्यों ने मेज थपथपाकर उनका समर्थन भी किया।

मुजाहिद अली ने अपने भाषण में न सिर्फ धार्मिक ग्रंथों का हवाला देकर सांप्रदायिक जहर घोला, बल्कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI की जिहादी मानसिकता को भी बेनकाब कर दिया। उन्होंने खुलकर कहा कि पर्दे के पीछे आईएसआई और कट्टरपंथी ताकतें गजवा-ए-हिंद की तैयारी में जुटी हैं और जिहाद को हवा दे रही हैं।

संसद में बोले- ‘कलमे की ताकत एटम बम से ज्यादा’

मुजाहिद अली ने खुद को इस्लामिक विचारधारा का सच्चा सिपाही बताते हुए दावा किया कि पाकिस्तान पूरे इस्लामी विश्व का मुख्यालय है। उन्होंने कहा,

“हमारी ताकत भारत से कम है, लेकिन कलमे की ताकत एटम बम से भी भारी है। जब हमारी सेना हिंदू दुश्मनों के सामने खड़ी होती है, तो उसका जज़्बा कुछ और ही होता है।”

धार्मिक उन्माद को दी हवा

मुजाहिद अली ने दावा किया कि मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि “गैर-मुस्लिमों” को हराना तय है और इसकी शुरुआत खुरासान (ईरान-अफगानिस्तान क्षेत्र) से होगी। उन्होंने कहा कि वहां से काली पगड़ी वाले लोग उठेंगे जो इस्लाम की रक्षा करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गैर-मुस्लिम समुदाय मुस्लिमों के बीच फूट डालकर “राज करो” की नीति पर चल रहे हैं।

क्या है ‘गजवा-ए-हिंद’?

‘गजवा-ए-हिंद’ एक कट्टरपंथी अवधारणा है, जिसमें भारत को एक दिन इस्लामी राज के अधीन करने की बात कही जाती है। पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन और आईएसआई समय-समय पर इस विचारधारा को बढ़ावा देते आए हैं। इस तरह के भाषण भारत के खिलाफ युद्ध और नफरत की मानसिकता को उजागर करते हैं।

क्या बोले सुरक्षा विशेषज्ञ?

भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मुजाहिद अली जैसे नेताओं के बयान यह साफ दिखाते हैं कि पाकिस्तान का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व किस स्तर पर चरमपंथ को बढ़ावा दे रहा है।
इस्लामाबाद में खुलेआम जिहादी विचारधारा का समर्थन और भारत के खिलाफ उकसावे वाली बातें अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा हैं।

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