नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान समेत कई देश गुपचुप तरीके से जमीन के नीचे परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप ने रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान का नाम लेते हुए कहा कि ये देश ऐसे स्थानों पर परीक्षण करते हैं जहां दुनिया की नजर नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि ‘‘वहां सिर्फ हल्की कंपन महसूस होती है, लेकिन कोई नहीं जानता कि नीचे क्या चल रहा है।’’ ट्रंप के मुताबिक अमेरिका एक खुला समाज है, इसलिए उसे अपने परीक्षण सार्वजनिक रूप से घोषित करने पड़ते हैं।
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ट्रंप का बड़ा बयान
ट्रंप ने कहा कि अगर दूसरे देश लगातार परमाणु परीक्षण कर रहे हैं तो अमेरिका को भी पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘रूस टेस्ट कर रहा है, चीन टेस्ट कर रहा है, उत्तर कोरिया तो हमेशा करता रहता है और पाकिस्तान भी टेस्ट कर रहा है।’’ ट्रंप का कहना है कि अमेरिका के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन बाकी देश भी तेज़ी से अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका ने परीक्षण फिर से शुरू नहीं किए तो वह अकेला ऐसा देश बन जाएगा जो ऐसा नहीं कर रहा होगा।
भारत के लिए चिंता की वजह
भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश हैं। भारत के पास लगभग 180 और पाकिस्तान के पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं। अगर पाकिस्तान छिपकर नए परीक्षण कर रहा है तो इसका मतलब होगा कि उसकी परमाणु क्षमता में इजाफा हो रहा है, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है। भारत हमेशा परमाणु हथियारों को शांति का प्रतीक मानता है और इसका उपयोग केवल रक्षा के लिए करने की नीति पर कायम है। लेकिन अगर पाकिस्तान इस नीति से हटकर अपनी परमाणु गतिविधियां तेज करता है, तो इससे दक्षिण एशिया में असंतुलन बढ़ सकता है।
क्यों करना चाहते हैं ट्रंप परमाणु परीक्षण
अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में पूर्ण पैमाने का परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद से अमेरिका केवल सिमुलेशन या कंप्यूटर आधारित परीक्षण करता रहा है। ट्रंप अब इस स्थिति को बदलना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगर छोटे देश जैसे उत्तर कोरिया और पाकिस्तान परीक्षण कर सकते हैं तो अमेरिका जैसे सुपरपावर को पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम टेस्ट करेंगे क्योंकि वे कर रहे हैं।’’ ट्रंप का मानना है कि परमाणु हथियारों की विश्वसनीयता जांचने के लिए समय-समय पर वास्तविक परीक्षण जरूरी हैं।
अमेरिका में बढ़ी बहस
ट्रंप के इस बयान के बाद अमेरिका में भी बहस छिड़ गई है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु परीक्षण दोबारा शुरू करने से वैश्विक अस्थिरता बढ़ेगी। अमेरिका सहित लगभग सभी बड़े देश Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty के तहत ऐसे परीक्षणों से परहेज करने का वादा कर चुके हैं। यदि अमेरिका फिर से परीक्षण शुरू करता है, तो यह संधि कमजोर पड़ सकती है और बाकी देश भी खुलकर परीक्षण करने लगेंगे।
क्या वाकई पाकिस्तान कर रहा है टेस्ट
ट्रंप के दावे पर अब तक किसी भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने पुष्टि नहीं की है। आम तौर पर ऐसे परीक्षणों का पता भूकंपीय तरंगों या रेडियोधर्मी उत्सर्जन से लगाया जा सकता है। अब तक किसी भी रिपोर्ट में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि पाकिस्तान ने हाल में अंडरग्राउंड टेस्ट किया हो। हालांकि पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियां हमेशा गोपनीय रही हैं, इसलिए इस पर संदेह बना हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
अगर ट्रंप के दावे में सच्चाई का कुछ हिस्सा भी है तो यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकता है। रूस, चीन और उत्तर कोरिया पहले से ही अपनी परमाणु क्षमता बढ़ा रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान का परीक्षण करना भारत और एशिया के लिए अस्थिरता का संकेत हो सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका का परीक्षण फिर शुरू करना परमाणु हथियारों की नई होड़ को जन्म दे सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है। पाकिस्तान का नाम लेकर उन्होंने एक नई बहस छेड़ दी है। भले ही उनके बयान की पुष्टि न हुई हो, लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि वैश्विक शक्तियाँ अब परमाणु हथियारों को लेकर एक बार फिर प्रतिस्पर्धा की राह पर लौट रही हैं। भारत के लिए यह समय रणनीतिक रूप से सजग रहने का है क्योंकि अगर पाकिस्तान वास्तव में अंडरग्राउंड परीक्षण कर रहा है तो आने वाले वर्षों में दक्षिण एशिया में परमाणु संतुलन और नाजुक हो सकता है।
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