‘शर्म करो…’ PAK आर्मी चीफ की खुलेआम हुई बेइज्जती, आसिम मुनीर को अमेरिका में देखते ही चिल्लाने लगे लोग

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By Rita Sharma

🕒 Published 7 hours ago (6:58 PM)

पाकिस्तान के सेना प्रमुख और फील्ड मार्शल जनरल सैयद आसिम मुनीर को अमेरिका यात्रा के दौरान बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। आधिकारिक यात्रा पर वॉशिंगटन पहुंचे मुनीर के खिलाफ वहीं रह रहे पाकिस्तानी मूल के लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया, और उन्हें ‘तानाशाह’, ‘हत्यारा’ और ‘कायर’ जैसे शब्दों से पुकारा।

होटल के बाहर लगे “हत्यारे” और “तानाशाह” के स्लोगन

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही आसिम मुनीर होटल से बाहर निकले, प्रदर्शनकारी जोर-जोर से चिल्लाने लगे –
“शर्म करो तानाशाह!”,
“आसिम मुनीर, तू कायर है!”,
“इस्लामाबाद का कातिल!”,
“तुम्हें शर्म आनी चाहिए, हत्यारे!”

भीड़ ने होटल के भीतर घुसने की भी कोशिश की, लेकिन स्टाफ ने उन्हें रोक दिया। वीडियो में मोबाइल डिजिटल बिलबोर्ड भी नजर आ रहे हैं, जिन पर आसिम मुनीर के खिलाफ स्लोगन लिखे थे, जैसे –

“जब बंदूकें बोलती हैं, तो लोकतंत्र मर जाता है”
“आसिम मुनीर, हत्यारे!”

PTI समर्थकों का विरोध

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आसिम मुनीर ने लोकतंत्र का गला घोंटा है और इमरान खान को फंसाने में अहम भूमिका निभाई है।
इससे पहले भी, जब उनकी यात्रा की घोषणा हुई थी, तब वॉशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास के बाहर भी पीटीआई समर्थकों ने प्रदर्शन किया था।

क्या वाकई सेना दिवस के लिए बुलाया गया था?

पाकिस्तानी मीडिया में पहले दावा किया गया था कि आसिम मुनीर को अमेरिका के 250वें आर्मी डे समारोह में आमंत्रित किया गया है। लेकिन बाद में अमेरिकी सूत्रों ने इस दावे को खारिज कर दिया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि 14 जून को आयोजित अमेरिकी सेना दिवस समारोह और मुनीर की यात्रा का कोई सीधा संबंध नहीं था, केवल दोनों का समय संयोगवश एक जैसा पड़ा।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की किरकिरी

इस घटना ने न केवल पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय का एक बड़ा वर्ग फौज के बढ़ते दमन और तानाशाही रवैये से नाराज है।
एक फौजी अफसर को अपने ही देश के लोगों से इस तरह का खुला विरोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद अपमानजनक माना जा रहा है।

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