🕒 Published 2 months ago (10:41 AM)
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 28 निर्दोष पर्यटकों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हमला अब तक का सबसे घातक हमला माना जा रहा है जिसमें पर्यटकों को सीधे निशाना बनाया गया।
हमला पहलगाम के प्रसिद्ध बैसरन घाटी में हुआ, जहां भारी संख्या में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। आतंकियों ने सैन्य वर्दी पहनकर घने जंगलों से निकलकर पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की। हमले में AK-47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया।
TRF ने ली जिम्मेदारी, लश्कर और जैश की मिलीभगत
हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सहयोगी गुट ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं।
हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई और इसका मास्टरमाइंड बताया जा रहा है लश्कर का शीर्ष कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद। जानकारी के मुताबिक आतंकियों को PoK के सेफ हाउसों से लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता मिली। हमले में इस्तेमाल हुए डिवाइसेज़ से पाकिस्तान के कराची और मुजफ्फराबाद के कनेक्शन भी सामने आए हैं।
जैश-ए-मोहम्मद की फिर सक्रियता
इस हमले की पृष्ठभूमि में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर की गतिविधियां भी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। जुलाई में वह बहावलपुर में एक शादी समारोह में देखा गया था जहां उसने कश्मीर और फिलिस्तीन के जिहाद की बात की थी। इसके अलावा जैश ने अपने हेडक्वार्टर का विस्तार भी किया है, जो आतंकी नेटवर्क की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
‘टेरर कैबिनेट’ की बैठक और साझा साजिश
अगस्त में एक गुप्त बैठक में जैश, अल बद्र, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे गुटों ने मिलकर एक ‘टेरर कैबिनेट’ बनाई थी, जो भारत में आतंकी हमलों की रणनीति, फंडिंग, हथियार सप्लाई और प्रशिक्षण जैसे कार्यों का बंटवारा कर रही है। पहलगाम हमला इसी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री की आपात बैठक
हमले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ दिल्ली में एक आपात बैठक की। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकी संरचना को उजागर करने की बात कही है। साथ ही क्रिकेट जैसे सांस्कृतिक आयोजनों में भी पाकिस्तान के बहिष्कार की नीति को दोहराया गया है।