🕒 Published 4 days ago (2:03 PM)
डेस्क। पाकिस्तान की एक और अंतरराष्ट्रीय किरकिरी अब करीब है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) TRF यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा चुका है। अमेरिका पहले ही TRF को बैन कर चुका है, और अब यूएन की 1267 प्रतिबंध समिति की मॉनिटरिंग रिपोर्ट में TRF का सीधा नाम लिया गया है। यह रिपोर्ट TRF की भूमिका की पुष्टि करती है, जिससे उसे ब्लैकलिस्ट किए जाने की संभावना और प्रबल हो गई है।
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी TRF ने मानी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थल पहलगाम में पांच आतंकियों ने हमला कर 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। हमले के कुछ ही देर बाद TRF ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए हमले की साइट की तस्वीरें तक साझा कीं। TRF ने अगले दिन भी हमले की जिम्मेदारी दोहराई। हालांकि 26 अप्रैल को अचानक वह इससे पीछे हट गया, लेकिन इससे पहले किए गए दावे रिकार्ड पर आ चुके थे।
UNSC की रिपोर्ट में TRF और LeT के संबंध
मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि TRF और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के बीच करीबी संबंध हैं। एक सदस्य देश ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह हमला लश्कर की मदद के बिना नहीं हो सकता था। वहीं, एक अन्य देश ने TRF को LeT का ही पर्याय बताया। हालांकि, कुछ सदस्य देशों ने लश्कर के निष्क्रिय होने की बात भी रखी, लेकिन TRF के लगातार सक्रिय होने के संकेत स्पष्ट हैं।
UNSC रिपोर्ट में TRF का जिक्र क्यों है अहम?
UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति की रिपोर्ट में TRF का नाम आना इसलिए मायने रखता है क्योंकि इस समिति के सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। इसका मतलब है कि विश्व समुदाय TRF को एक गंभीर आतंकी खतरे के रूप में देख रहा है। पाकिस्तान पहले यह दावा कर चुका है कि उसने TRF का नाम UNSC बयान से हटवा दिया था, लेकिन अब रिपोर्ट में TRF का खुला उल्लेख पाकिस्तान की इस रणनीति को फेल करता है।
भारत ने पहले ही दे दी थी जानकारी
भारत ने अप्रैल और मई महीने में UNSC समिति को TRF की बढ़ती गतिविधियों और लश्कर-ए-तैयबा से इसके संबंधों की जानकारी दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, TRF की गतिविधियां क्षेत्रीय तनाव को भड़काने का माध्यम बन सकती हैं और इसका फायदा अन्य आतंकी समूह भी उठा सकते हैं।
आगे क्या होगा?
अब अगली बैठक में भारत TRF को ब्लैकलिस्ट कराने की दिशा में औपचारिक प्रस्ताव रख सकता है। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और सुरक्षा जीत मानी जाएगी। इससे पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव भी बढ़ेगा और वह आतंक को पनाह देने के आरोपों से और घिर जाएगा।