🕒 Published 2 months ago (12:33 AM)
बैठक में सभी दलों ने एक सुर में हमले की कड़ी निंदा की और सरकार द्वारा उठाए जाने वाले हर कदम को समर्थन देने की बात कही। हालांकि विपक्ष ने कड़े सवाल भी उठाए—जैसे कि इंटेलिजेंस एजेंसियों की विफलता, CRPF और सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति, और घटनास्थल पर सुरक्षा की कमी।
सरकार की सफाई:
सरकार की ओर से बताया गया कि आमतौर पर यह रूट जून में अमरनाथ यात्रा के लिए खोला जाता है और तभी सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है। लेकिन इस बार स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने बिना पूर्व सूचना के 20 अप्रैल से ही इस रूट पर टूरिस्ट ले जाना शुरू कर दिया, जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को नहीं थी। इसी कारण वहां सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं की गई थी।
ओवैसी का सवाल और सरकार का जवाब:
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इंडस वॉटर ट्रीटी को अस्थाई रूप से निष्क्रिय करने के फैसले पर सवाल उठाया कि जब हमारे पास पानी रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है, तो इस कदम का क्या लाभ? इसके जवाब में सरकार ने कहा कि यह कदम भारत की मंशा और भविष्य की नीति का संकेत देने के लिए उठाया गया है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो का प्रेजेंटेशन:
बैठक में इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर ने करीब 15 मिनट का प्रेजेंटेशन भी दिया, जिसमें घटनाक्रम और संभावित खुफिया खामियों की जानकारी साझा की गई।
रिजिजू और विपक्ष की प्रतिक्रिया:
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “यह हमला बेहद दुखद है और देश भर में चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार ने सख्त कदम उठाने का संकल्प लिया है।”
वहीं, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, “हमने सरकार को भरोसा दिलाया है कि देश की सुरक्षा के लिए जो भी कदम उठाए जाएंगे, विपक्ष उसका समर्थन करेगा।”
इस हमले ने एक बार फिर से कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था और इंटेलिजेंस की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार अगला कदम क्या उठाती है।