🕒 Published 1 day ago (2:52 PM)
भोपाल: भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुरू किए गए ‘घर-घर सिंदूर अभियान’ को लेकर मध्य प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया है। इस अभियान का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा मारे गए 26 निर्दोष पर्यटकों की स्मृति में और उनके परिजनों को सम्मान देने के रूप में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को जन-जन तक पहुंचाना है। लेकिन कांग्रेस ने इस पहल को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है।
दिग्विजय सिंह का बयान – “सिंदूर देना पति का अधिकार”
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस अभियान पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि, “एक विवाहित महिला को सिंदूर देने का अधिकार केवल उसके पति को है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए चुनावी लाभ लेने का प्रयास है, बीजेपी को इसके लिए कोई और तरीका ढूंढना चाहिए।”
रागिनी नायक का तीखा वार – “ये सरकारी सिंदूर किसके काम आएगा?”
कांग्रेस नेत्री डॉ. रागिनी नायक ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार और पीएम मोदी से कई सवाल पूछे:
- क्या पराए आदमियों द्वारा दिया गया सिंदूर, हिंदू संस्कृति का अपमान नहीं?
- जब पति के जीवित रहने का प्रतीक है सिंदूर, तो जिनका सुहाग उजड़ा, उनके दोषियों को सजा क्यों नहीं मिली?
- क्या सिंदूर की डिब्बी पर भी नरेंद्र मोदी की तस्वीर होगी, जैसे कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट पर थी?
- बीजेपी-आरएसएस से जुड़े नेता, जो महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, उन्हें पार्टी से बाहर क्यों नहीं किया जाता?
रागिनी ने कहा कि, “जब तक बीजेपी अपने महिला विरोधी नेताओं को बाहर नहीं निकालती, तब तक उन्हें अपनी नाक चुल्लू भर पानी में डुबो कर रखनी चाहिए।”
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने एक दर्दनाक हमला कर 26 निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें कई विवाहित महिलाएं भी थीं, जिनका सुहाग उजड़ गया। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया — एक सैन्य कार्रवाई के साथ भावनात्मक समर्थन देने का प्रयास।
अब इस ऑपरेशन को जनभावनाओं से जोड़ने के लिए महिलाओं को उपहार स्वरूप सिंदूर बांटने का कार्यक्रम 9 जून से शुरू किया जा रहा है।
(डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट राजनीतिक बयानों पर आधारित है। सभी पक्षों की राय शामिल करने का प्रयास किया गया है।)