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Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में 3000 अग्निवीरों ने दिखाया दमखम, पाकिस्तान के मंसूबों को किया नाकाम

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी अड्डों पर बड़ा हमला बोला। 7 से 10 मई तक चले इस सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इस दौरान थल, जल और वायु सेना ने मिलकर 9 से अधिक आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया। जवाबी कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 13 से अधिक सैन्य अड्डों को भी निशाना बनाया।

अग्निवीरों ने निभाई निर्णायक भूमिका
इस ऑपरेशन में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए करीब 3000 अग्निवीरों ने अहम योगदान दिया। सेना के सूत्रों के मुताबिक, इन जवानों ने वायु रक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी बखूबी निभाई और मिसाइल तथा ड्रोन हमलों को विफल करने में सक्रिय भूमिका निभाई। एयर डिफेंस यूनिट्स के मुताबिक, हर यूनिट में लगभग 150 से 200 अग्निवीरों ने अलग-अलग मोर्चों पर काम किया।

‘आकाशतीर’ प्रणाली का संचालन
अग्निवीरों ने भारत में विकसित ‘आकाशतीर’ एयर डिफेंस कंट्रोल सिस्टम का संचालन भी किया, जो दुश्मन की गतिविधियों का तुरंत पता लगाकर जवाब देने की क्षमता रखता है। यह प्रणाली हाल ही में सेना में शामिल की गई थी और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसकी दक्षता साफ दिखाई दी।

चार प्रमुख क्षेत्रों में प्रशिक्षण
पश्चिमी मोर्चे पर तैनात एयर डिफेंस यूनिट्स में अग्निवीरों को चार अलग-अलग भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया था – गनर्स, फायर कंट्रोल ऑपरेटर्स, रेडियो ऑपरेटर्स और हैवी व्हीकल ड्राइवर्स। इन्होंने L-70, Zu-23-2B, ओसा-एके, पिचोरा और टुंगुस्का जैसे हथियारों के साथ-साथ कई रडार और संचार प्रणालियों का संचालन किया।

पाकिस्तानी हथियारों को किया निष्क्रिय
पाकिस्तान की ओर से चीनी PL-15 मिसाइलें, तुर्की ड्रोन और अन्य लंबी दूरी के हथियार इस्तेमाल किए गए, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने इन सभी को बेअसर कर दिया। भारत की ओर से ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम, समर और एंटी-ड्रोन तकनीक का प्रभावी उपयोग किया गया।

अग्निपथ योजना की सार्थकता साबित
इस सैन्य कार्रवाई ने अग्निपथ योजना की उपयोगिता को भी साबित कर दिया है। वर्ष 2022 में शुरू हुई इस योजना के तहत जवानों को चार वर्षों के लिए भर्ती किया जाता है, जिनमें से 25 प्रतिशत को स्थायी सेवा में लिया जाता है। हालांकि योजना की शुरुआत में विरोध भी हुआ था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों की भागीदारी ने दिखा दिया कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक बना, बल्कि यह भी साबित किया कि अग्निवीर जैसे नए सैनिक मॉडल भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उनकी भूमिका आने वाले समय में और अधिक अहम मानी जा रही है।

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