🕒 Published 4 hours ago (11:19 PM)
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मामले में सुरक्षा एजेंसियों को अहम सफलता मिली है। हाल ही में श्रीनगर के लिदवास इलाके में मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में हुई है। इनमें से एक लाहौर और दूसरा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का निवासी था, जबकि तीसरे की नागरिकता की पुष्टि प्रक्रियाधीन है।
सूत्रों की मानें, तो आतंकियों के पास से पाकिस्तानी पहचान पत्र और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा प्रशिक्षण सामग्री भी बरामद हुआ है। प्रारंभिक जांच से यह भी सामने आया है कि ये तीनों आतंकी पिछले तीन महीनों से भारत में छिपे हुए थे और लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय सदस्य थे।
‘ऑपरेशन महादेव’ बना आतंकियों का काल
22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी। हमले के बाद देश भर में भारी आक्रोश फैला था। इस घटना की जांच में सुरक्षा एजेंसियों ने जो कार्रवाई की, वह ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत हुई थी। इसी ऑपरेशन में लिदवास क्षेत्र में तीन आतंकियों को ढेर किया गया।
गृह मंत्री अमित शाह खुद इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिकों और फोरेंसिक अधिकारियों के साथ पूरी रात फोन और वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में रहकर जांच पर नजर रखी। चंडीगढ़ फोरेंसिक लैब से जैसे ही पुष्टि हुई, उन्होंने लोकसभा में बयान देते हुए कहा, “इन हथियारों से ही पहलगाम में हमला हुआ था, इसमें अब कोई संदेह नहीं है।”
फोरेंसिक रिपोर्ट से कैसे हुआ खुलासा?
मुठभेड़ के बाद तीनों आतंकियों के पास से एम9 पिस्टल और दो AK-47 रायफलें मिली थीं। इन हथियारों को विशेष विमान से श्रीनगर से चंडीगढ़ भेजा गया। अहमदाबाद से एक विशेष मशीन मंगाई गई, जिससे बुलेट केसिंग का मिलान किया गया। चंडीगढ़ लैब की रिपोर्ट के अनुसार, बैसरन घाटी से बरामद बुलेट खोल 99% इन हथियारों से मेल खा रहे थे। इसका सीधा मतलब था कि ये आतंकी वही हैं जिन्होंने पहलगाम में हमला किया।
आतंकियों की पहचान कैसे हुई?
सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ स्थानीय सहयोगियों को पहले ही हिरासत में ले रखा था। उन्हें लिदवास लाकर शवों की पहचान करवाई गई। आतंकियों के नाम सामने आए — सुलेमान, अफगानी और जिबरान। इनमें से एक लाहौर से, दूसरा PoK से और तीसरे की भी पाकिस्तान से जुड़ाव की पुष्टि हुई है। उनके पास से मिले ट्रेनिंग वीडियो ने भी लश्कर से संबंध की पुष्टि कर दी।
आतंकियों के पलायन को कैसे रोका गया?
हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर पहुंचकर अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई भी आतंकी सीमा पार न कर सके। इसके लिए करीब 8 किलोमीटर लंबा वह रूट चिन्हित किया गया जिससे आतंकी पाकिस्तान भाग सकते थे। सभी संभावित सुरंगों को बंद कर दिया गया। आतंकियों ने तीन महीनों तक भारत में छिपकर रहना तो सफल किया, लेकिन सुरक्षा घेरे के चलते न तो हमला कर सके और न ही वापस लौट पाए।