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Odisha Student Sucide Case: ओडिशा में छात्रा की मौत पर बवाल, राहुल गांधी बोले- ये आत्महत्या नहीं, सिस्टम की हत्या है, सियासी संग्राम तेज़

Odisha Student Sucide Case: ओडिशा के बालासोर जिले में एक कॉलेज छात्रा की दर्दनाक मौत ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई न होने से निराश होकर छात्रा ने खुद को आग लगा ली थी। सोमवार रात भुवनेश्वर एम्स में उसने दम तोड़ दिया। इस घटना ने सिर्फ एक छात्रा की जान नहीं ली, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

छात्रा बालासोर के फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय में बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। उसने कॉलेज के एक शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। आरोपों के बावजूद जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो छात्रा ने शनिवार को खुद को आग लगा ली। वह करीब 95% तक झुलस गई थी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

इस घटना ने राज्य भर में गुस्से की लहर दौड़ा दी। छात्रा के अंतिम संस्कार में हज़ारों लोग जुटे। बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी, स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और ग्रामीण अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर बोला हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को “सिस्टम की हत्या” करार देते हुए ओडिशा की बीजेपी सरकार पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा:

“ओडिशा में इंसाफ़ के लिए लड़ती एक बेटी की मौत, सीधे-सीधे BJP के सिस्टम द्वारा की गई हत्या है। उस बहादुर छात्रा ने यौन शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, लेकिन उसे बार-बार धमकाया गया, अपमानित किया गया। ये आत्महत्या नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा संगठित हत्या है।”

राहुल गांधी ने मणिपुर और ओडिशा दोनों का उदाहरण देते हुए बीजेपी पर महिला सुरक्षा को लेकर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भक्त चरण दास ने घटना को राज्य की कानून व्यवस्था की विफलता बताया और मुख्यमंत्री से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने वामपंथी दलों समेत आठ विपक्षी दलों के साथ मिलकर 17 जुलाई को ओडिशा बंद का ऐलान किया है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने आरोप लगाया कि बीजेपी की डबल इंजन सरकार में जंगलराज कायम है। उन्होंने कहा कि छात्रा की मौत से पहले प्रशासन, कॉलेज और सरकार—सभी को जानकारी थी, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

छात्रा के पिता का दर्द: “मुझे मुआवजा नहीं, इंसाफ चाहिए”

छात्रा के पिता ने सरकार से किसी आर्थिक मदद की जगह सिर्फ इंसाफ की मांग की। उन्होंने कहा:

“मेरी बेटी ने मुझे लड़ना सिखाया है, और मैं यह लड़ाई जारी रखूंगा। मुझे किसी मुआवजे की जरूरत नहीं, मुझे मेरी बेटी चाहिए।”

छात्रा की मां सदमे में हैं और मीडिया से कुछ भी कहने की हालत में नहीं थीं।

सीपीआई(एम) का हमला: संस्थागत विफलता

सीपीआई(एम) के राज्य सचिव सुरेश चंद्र पाणिग्रही ने घटना को “सरकार की नैतिक विफलता और संस्थागत पतन” करार दिया। उन्होंने कहा:

“यह आत्महत्या नहीं, सिस्टम की हत्या है। कॉलेज, शिक्षक, प्रशासन और सरकार—सभी ने इस बच्ची को अकेला छोड़ दिया।”

उन्होंने मामले की हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से न्यायिक जांच की मांग की और उच्च शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की अपील की।

नवीन पटनायक का भी बयान आया

पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद नेता नवीन पटनायक ने सोशल मीडिया पर लिखा:

“यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता है। अगर किसी एक व्यक्ति ने भी समय पर दखल दिया होता, तो छात्रा की जान बच सकती थी। यह संस्थागत विश्वासघात है।”

उन्होंने राज्यपाल से मांग की कि न सिर्फ कॉलेज प्रशासन, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाए।

मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने जताया दुख

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया।

राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने भी छात्रा की मौत पर शोक जताते हुए कहा कि यह घटना हमारे शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चेतावनी है।

बीजेपी ने राहुल गांधी पर लगाया “ओछी राजनीति” का आरोप

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा:

“यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने का है। राहुल गांधी को अपने गैर-जिम्मेदाराना बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।”

विपक्ष की रणनीति: सड़क से सदन तक संघर्ष

कांग्रेस, सीपीआई(एम) और अन्य विपक्षी दलों ने स्पष्ट किया है कि वे सरकार की “असंवेदनशीलता” के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। 17 जुलाई को प्रदेशव्यापी बंद के साथ-साथ विधानसभा के मानसून सत्र में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया जाएगा।

बालासोर की छात्रा की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि व्यवस्था की असफलता का आईना है। यह घटना बता रही है कि आज भी हमारी शिक्षा व्यवस्था, प्रशासन और कानून-व्यवस्था महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है। अब देखना होगा कि क्या यह मामला एक और “असामयिक मौत” बनकर रह जाएगा या इस बार सिस्टम में कुछ बदलाव होगा।

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