जगदलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने माओवादियों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि उनसे किसी भी तरह की बातचीत तभी संभव है जब वे पहले आत्मसमर्पण करें। शाह ने कहा कि जो लोग बंदूक छोड़ देंगे, उन्हें सरकार मुख्यधारा में वापस लाने के लिए हर संभव मदद करेगी।
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बस्तर के विकास के लिए केंद्र ने दिया 4 लाख करोड़
अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों में छत्तीसगढ़ के विकास कार्यों के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी है। उन्होंने कहा कि सड़कों, स्वास्थ्य, शिक्षा और जनकल्याण से जुड़ी अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं ताकि आदिवासी इलाकों में विकास की रफ्तार बढ़े।
“शांति भंग करने वालों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब”
गृह मंत्री ने नक्सलियों को चेतावनी दी कि अगर किसी ने हथियार के बल पर बस्तर की शांति भंग करने की कोशिश की, तो सुरक्षा बल उसका कड़ा जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि अब बातचीत का नहीं, कार्रवाई का समय है। साथ ही उन्होंने आदिवासी समुदाय से अपील की कि वे अपने युवाओं को समझाएं कि वे हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हों।
“31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त होगा”
अमित शाह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बेहद आकर्षक आत्मसमर्पण नीति बनाई है, जिसके तहत पिछले एक महीने में 500 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
नक्सलवाद विकास में सबसे बड़ी बाधा
शाह ने कहा कि कई वर्षों तक यह भ्रम फैलाया गया कि नक्सलवाद विकास के लिए संघर्ष है, लेकिन हकीकत यह है कि नक्सलवाद ने बस्तर को विकास से वंचित रखा। उन्होंने बताया कि देश के बाकी हिस्सों में हर घर तक बिजली, पानी, शौचालय, स्वास्थ्य बीमा और अनाज की सुविधा पहुंची है, लेकिन नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में यह रफ्तार धीमी रही है।
नक्सल मुक्त गांवों को मिलेगा एक करोड़ रुपये
गृह मंत्री ने घोषणा की कि जो गांव नक्सल मुक्त घोषित होंगे, उन्हें विकास कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये की विशेष सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह राशि गांवों में सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और रोजगार के अवसर बढ़ाने में इस्तेमाल की जाएगी।
मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा और बस्तर दशहरा में शामिल हुए शाह
जगदलपुर पहुंचने पर अमित शाह ने मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की और बस्तर दशहरा के पारंपरिक आयोजन ‘मुरिया दरबार’ में हिस्सा लिया। उन्होंने आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों और पुजारियों से संवाद किया और कहा कि मां दंतेश्वरी की कृपा से 2026 तक बस्तर लाल आतंक से मुक्त होगा।
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