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10 दिन बाद भी फरार पहलगाम के आतंकी: क्या जंगलों में छिपे हैं या कोई दे रहा है पनाह?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन हमलावर अब भी पकड़ से बाहर हैं। इस हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुँचा दिया है। सीमाओं पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है, एयरस्पेस सील हो रहे हैं, और युद्धाभ्यास जारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को फ्री हैंड दे दिया है, लेकिन जिन आतंकियों ने दोनों मुल्कों को जंग के मुहाने पर ला खड़ा किया, वे अब भी लापता हैं।

100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ, लेकिन अब तक खाली हाथ

पिछले 10 दिनों से जम्मू-कश्मीर में तलाशी अभियान चल रहा है। जंगलों, गांवों और शहरी इलाकों में सुरक्षा बल तैनात हैं। 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ हो चुकी है, कई के घरों को जमींदोज कर दिया गया है। गुरुवार को एनआईए के डीजी ने खुद पहलगाम पहुंचकर जांच की, लेकिन आतंकी और उनके मददगार अब भी पकड़ से दूर हैं।

जम्मू-कश्मीर में दहशत का माहौल, टूरिस्ट स्पॉट्स बंद

हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में भय का माहौल बना हुआ है। सुरक्षा कारणों से 48 से ज्यादा पर्यटन स्थल बंद कर दिए गए हैं। जब तक हमलावरों को पकड़ा नहीं जाता, घाटी में डर बना रहेगा। यही वजह है कि अब सबसे बड़ा सवाल बन गया है – “पहलगाम के वो पापी कहां हैं?”

क्या घने जंगलों में छिपे हैं आतंकी? या ओजीडब्ल्यू कर रहे मदद?

जांच एजेंसियों को आशंका है कि आतंकी जंगलों में छिपे हैं या फिर ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) उनकी मदद कर रहे हैं। शुरुआती साक्ष्यों से पता चला है कि OGW ने आतंकियों को लोकेशन दी, एग्ज़िट रूट समझाया और हमले के बाद छिपने में मदद की।

तकनीक से मिला सुराग, लेकिन सुराग अब तक अधूरे

सूत्रों के मुताबिक घटना के समय दो बार अल्ट्रा स्टेट सिग्नल्स एक्टिवेट हुए – ये ऐसे सिग्नल होते हैं जिनसे बिना सिम कार्ड के कॉल, मैसेज या वीडियो कॉल किया जा सकता है। अब एजेंसियां मोबाइल डेटा, बैंक अकाउंट और कॉल रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।

OGW की तलाश में ताबड़तोड़ छापेमारी

जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत और जमात ए इस्लामी से जुड़े 100 से अधिक ठिकानों पर छापे पड़े। बड़ी मात्रा में देश विरोधी सामग्री जब्त हुई है। कई प्रतिबंधित संगठनों पर आतंकियों के लिए OGW तैयार करने का आरोप है। इनका नेटवर्क पहलगाम हमले में भी सक्रिय रहा।

हमले की साजिश में लश्कर के टॉप कमांडर फारुख का नाम

सूत्रों का दावा है कि हमले के पीछे लश्कर कमांडर फारुख अहमद का हाथ है, जो POK में छिपा है। उसके बनाए OGW नेटवर्क ने ही इस हमले को अंजाम दिया। फारुख को घाटी के पहाड़ी इलाकों की गहरी जानकारी है और वह पिछले दो सालों में कई हमलों का मास्टरमाइंड रहा है।

सवाल जस का तस: कब पकड़े जाएंगे पहलगाम के आतंकी?

जांच एजेंसियां दिन-रात लगी हुई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाई है। संदेह है कि या तो आतंकियों के पास लंबी अवधि की रसद है या फिर OGW उनकी लगातार मदद कर रहे हैं। जब तक ये आतंकी पकड़े नहीं जाते, तब तक न तो जम्मू-कश्मीर में अमन बहाल होगा और न ही देश की जनता को सुकून मिलेगा।

 

Rita Sharma

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