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भारत-चीन सीमा पर सैन्य पहुंच को मजबूत करेगा नया वैकल्पिक मार्ग, डेपसांग और DBO तक पहुंच होगी आसान

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डेपसांग और दौलत बेग ओल्डी (DBO) तक सेना की तेज और सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक नया वैकल्पिक मार्ग विकसित किया जा रहा है। इस मार्ग के निर्माण से न केवल यात्रा का समय घटेगा, बल्कि भारतीय सेना की लॉजिस्टिक क्षमता और रणनीतिक स्थिति भी कई गुना मजबूत होगी।

ससोमा से DBO तक बनेगा नया रूट

इस नए मार्ग की शुरुआत लेह से सियाचिन बेस कैंप की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित ससोमा से होगी। यह मार्ग सासेर ला, सासेर ब्रांगसा और गप्शन से होते हुए दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचेगा। लगभग 130 किलोमीटर लंबा यह वैकल्पिक मार्ग मौजूदा डर्बुक-श्योक-DBO (DSDBO) रोड के समानांतर बनाया जा रहा है। इस रूट पर 40 टन भार क्षमता के 9 मजबूत पुल बनाए जा रहे हैं, जिन्हें आगे 70 टन तक अपग्रेड किया जा रहा है ताकि भारी सैन्य वाहनों को भी आसानी से ले जाया जा सके।

यात्रा समय में आएगी भारी कमी

फिलहाल लेह से DBO तक की दूरी 322 किलोमीटर है, जिसे यह नया मार्ग घटाकर 243 किलोमीटर कर देगा। इसके चलते 2 दिन लगने वाला सफर महज 11–12 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। इस रूट पर बोफोर्स तोप जैसे भारी सैन्य उपकरणों को पहले ही चलाकर इसकी क्षमता की जांच की जा चुकी है।

हर मौसम में चालू रखने के लिए सुरंग का निर्माण

इस मार्ग को हर मौसम में चालू बनाए रखने के लिए BRO (बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन) सासेर ला पास पर 17,660 फीट की ऊंचाई पर लगभग 8 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने जा रहा है। यह प्रोजेक्ट अभी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) स्टेज में है और इसके निर्माण में करीब 4–5 साल का समय लगेगा।

रणनीतिक क्षेत्र में सेना की पकड़ होगी और मजबूत

यह नया रूट गलवान घाटी और डेपसांग क्षेत्र जैसे संवेदनशील क्षेत्रों तक सेना की पहुंच को मजबूत करेगा। खासकर गलवान जैसी जगह, जहां 2020 में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, वहां इस मार्ग के जरिए तेजी से सैनिकों और संसाधनों की तैनाती संभव हो सकेगी। साथ ही DBO, जो दुनिया का सबसे ऊंचा एयरस्ट्रिप है, तक पहुंचना और अधिक आसान हो जाएगा।

सैन्य तैयारियों को मिलेगी नई ताकत

सियाचिन बेस कैंप के नजदीक होने से सैनिकों को हाई-ऑल्टिट्यूड तैनाती से पहले अनुकूलन की प्रक्रिया भी यहीं पूरी हो सकेगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि जवानों की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। नए मार्ग से हथियारों, राशन, ईंधन और अन्य जरूरी सामान की आपूर्ति आसान हो जाएगी।

निर्माण की लागत और जिम्मेदारी

ससोमा से सासेर ब्रांगसा तक का निर्माण BRO के प्रोजेक्ट विजयक के अंतर्गत 300 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है, जबकि ब्रांगसा से DBO तक सड़क और पुलों का निर्माण प्रोजेक्ट हिमांक के तहत 200 करोड़ रुपये में किया जा रहा है। पूरा मार्ग नवंबर 2026 तक तैयार हो जाने की संभावना है।

यह नया रोड नेटवर्क लद्दाख में भारत की सैन्य उपस्थिति को रणनीतिक रूप से मजबूत बनाएगा और चीन के साथ किसी भी संभावित तनाव की स्थिति में भारतीय सेना की प्रतिक्रिया क्षमता को दोगुना कर देगा।

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