Nepal Recalled Ambassadors : नेपाल में हाल ही में हुए तख्तापलट और सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है । प्रधानमंत्री कार्की के नेतृत्व में गठित सरकार ने चीन, अमेरिका, ब्रिटेन सहित 11 देशों से अपने राजदूतों को तुरंत प्रभाव से वापस बुलाने का फैसला लिया है।
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सभी ambassadors को 6 नवंबर 2025 तक नेपाल लौटने का आदेश
कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले के अंतर्गत इन सभी Ambassadors को 6 नवंबर 2025 तक नेपाल लौटने का आदेश दिया गया है। सरकार के अनुसार, यह फैसला उन सभी Ambassadors पर लागू होगा जो पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कार्यकाल में नियुक्त किए गए थे। इनमें नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। वहीं, कुछ राजदूतों को उनके प्रदर्शन और पद की आवश्यकता को देखते हुए पद पर बने रहने की अनुमति दी गई है।
इन देशों से वापस बुलाए गए राजदूत?
कैबिनेट ने जिन 11 देशों से राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है, उनमें प्रमुख राष्ट्र शामिल हैं। पूरी सूची इस प्रकार है —
कृष्ण प्रसाद ओली – चीन
शैल रूपाखेती – जर्मनी
धन प्रसाद पंडित – इजराइल
नेत्र प्रसाद तिमिलसिना – मलेशिया
रमेश चंद्र पौडेल – कतर
जंग बहादुर चौहान – रूस
नरेश बिक्रम ढकाल – सऊदी अरब
शनील नेपाल – स्पेन
चंद्र कुमार घिमिरे – ब्रिटेन (यूके)
लोक दर्शन रेग्मी – अमेरिका (यूएसए)
दुर्गा बहादुर सुवेदी – जापान
भारत में नेपाल के वर्तमान Ambassador डॉ. शंकर शर्मा को वापस नहीं बुलाया गया है। प्रधानमंत्री कार्की ने उनके कामकाज की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की और उनके प्रदर्शन को “संतोषजनक” बताया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि महिला राजदूतों को उनके पद से न हटाया जाए, ताकि राजनयिक सेवा में लैंगिक संतुलन और निरंतरता बनी रहे।
नई नियुक्तियों में देरी की संभावना
राजदूतों की वापसी के बाद अब इन देशों में नई नियुक्तियों में देरी की संभावना जताई जा रही है। नेपाल के संविधान के अनुसार, किसी भी राजदूत की नियुक्ति से पहले संसदीय सुनवाई (Parliamentary Hearing) आवश्यक होती है। वर्तमान में नेपाल की संसद भंग है और अगला आम चुनाव 5 मार्च 2026 को निर्धारित है। ऐसे में कम से कम आठ से नौ महीने तक कई देशों में नेपाली राजदूतों की नियुक्ति की संभावना ना के बराबर है
Ambassadors की वापसी के पीछे की वजह
सूत्रों के अनुसार, इन 11 राजदूतों को वापस बुलाने का मुख्य कारण उनकी राजनीतिक नियुक्ति बताया जा रहा है। नई सरकार चाहती है कि आने वाले आम चुनाव तक नेपाल की विदेश नीति पर किसी बाहरी देश का प्रभाव या दबाव न पड़े। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कार्की का मानना है कि राजनयिक पदों पर पेशेवर और निष्पक्ष प्रतिनिधियों की नियुक्ति ही राष्ट्रीय हित में है।
निष्कर्ष
नेपाल में हालिया राजनीतिक upheaval के बाद नई सरकार का यह कदम देश की विदेश नीति को पुनः संतुलित करने का प्रयास माना जा रहा है। चीन, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे प्रभावशाली देशों से Ambassadors को बुलाना यह संकेत देता है कि नेपाल आने वाले महीनों में अपनी कूटनीतिक दिशा और प्राथमिकताओं को दोबारा बनाना चाहता है। अब सबकी नजर इस बात पर होगी कि नई सरकार विदेश नीति में क्या बदलाव लाती है और आगामी चुनावों से पहले किन नए चेहरों को इन देशों में भेजा जाता है।
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