🕒 Published 1 month ago (8:52 AM)
बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर दिया है। गया पुलिस ने एसएसपी आनंद कुमार के नेतृत्व में नक्सलियों को उनके गढ़ में घुसकर दबोचने के लिए एक ठोस रणनीति और विशेष एक्शन प्लान तैयार किया है। अब नक्सलियों के पास छिपने की जगह नहीं बची है, क्योंकि पुलिस की हर मूवमेंट पर पैनी नजर है।
अत्याधुनिक तकनीकों और समन्वय पर जोर
नक्सली गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए ड्रोन और अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से जंगलों और पहाड़ी इलाकों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, सीआरपीएफ (CRPF) और एसएसबी (SSB) के बीच समन्वय को और मजबूत किया गया है। संयुक्त ऑपरेशन से नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी है।
एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि पुलिस अब नक्सलियों की मांद में घुसकर कार्रवाई कर रही है। गया जिले के डुमरिया, इमामगंज, छकरबंधा, लुटुआ, बाराचट्टी जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में जंगलों में छिपे नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन और सर्विलांस उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। खुफिया तंत्र को भी मजबूत किया गया है, ताकि नक्सलियों की हर हरकत पर नजर रखी जा सके।
3 लाख का इनामी नक्सली भी टूटा, आत्मसमर्पण का सिलसिला जारी
सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई का नतीजा भी दिखने लगा है। 20 जून को कुख्यात और 3 लाख रुपये का इनामी नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरका ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। बताया जा रहा है कि लगातार दबाव, पहाड़ियों में पुलिस की मौजूदगी और ठिकानों पर की जा रही रेड की वजह से नक्सली खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अखिलेश सिंह भोक्ता कई गंभीर मामलों में वांछित था, और उसके आत्मसमर्पण को सुरक्षा एजेंसियां एक बड़ी सफलता मान रही हैं। वर्ष 2025 में अब तक 30 से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई से नक्सली बिखरे
पुलिस सूत्रों के अनुसार, फरार नक्सलियों को पकड़ने के लिए कार्रवाई तेज कर दी गई है। ताबड़तोड़ पुलिसिया कार्रवाई से नक्सली संगठन बुरी तरह बिखरते नजर आ रहे हैं और आत्मसमर्पण का रास्ता अपना रहे हैं। नक्सल विरोधी अभियान में सीआरपीएफ, एसएसबी और एसटीएफ (STF) की मदद ली जा रही है। जंगलों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए गए हैं, और जिन क्षेत्रों में पहले पुलिस नहीं पहुंच पाती थी, अब वहां भी नियमित गश्त की जा रही है।
प्रशासन का उद्देश्य है कि जितना संभव हो, नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ा जाए और युवाओं को गुमराह होने से रोका जाए। पुलिस की सख्ती और निरंतर दबाव के चलते नक्सलियों में खलबली मच गई है, और कई नक्सली सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं, जिनमें से कुछ आत्मसमर्पण करने की तैयारी में भी हैं।