शारदीय नवरात्रि हमारे देश में मनाए जाने वाले प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है, जो भाद्रपद और आश्विन महीने के दौरान मनाया जाता है। इस दौरान भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं: मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री।
विषयसूची
मां चंद्रघंटा कौन हैं?
मां चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। कहा जाता है कि मां महागौरी ने भगवान शिव से विवाह के बाद अपने माथे पर अर्धचंद्र धारण किया और चंद्रघंटा के रूप में जानी गईं। देवी को बाघिन पर सवार और दस हाथों में दिखाया जाता है, जिनमें चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, धनुष, बाण और जपमाला, एक अभय मुद्रा में और एक वरद मुद्रा में होता है। उनके माथे पर घंटी की ध्वनि और चंद्रमा भक्तों से सभी नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाता है।
नवरात्रि 2025, दिन 3 – तिथि, समय और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के तीसरे दिन, जो 24 सितंबर 2025 को गुरुवार को मनाया जाएगा, भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं।
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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से 5:23 बजे तक
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अमृत काल: सुबह 9:11 से 10:57 बजे तक
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विजय मुहूर्त: दोपहर 2:14 से 3:02 बजे तक
 
इस दिन का रंग
तीसरे दिन पीले रंग के वस्त्र पहनें। पीला रंग सकारात्मक ऊर्जा, आशावाद और उत्साह का प्रतीक है।
पूजा विधि और अनुष्ठान
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सुबह सूर्योदय से पहले उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल को साफ करें और मां को गंगाजल से स्नान कराएं।
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घी का दीपक जलाएं, फूल, चंदन, सिंदूर और मिठाइयां अर्पित करें।
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मां चंद्रघंटा के मंत्र ‘ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः’ का जाप करें।
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दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
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शाम को मां दुर्गा की आरती करें और भोग प्रसाद अर्पित करें।
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व्रत तोड़ते समय सात्विक भोजन का सेवन करें और प्याज, लहसुन जैसे तामसिक भोजन से परहेज करें।
 
मां चंद्रघंटा का मंत्र
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ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः
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पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
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या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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आपदुद्धारिणी त्वमहि आद्या शक्तिः शुभपरम्। अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
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चंद्रमुखी इष्ट दात्री इष्टम मंत्र स्वरूपिणीम्। धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
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नानारूपधारिणी इच्छामयि ऐश्वर्यदायिनीम्। सौभाग्यरोग्यदायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
 
धार्मिक महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा से भय दूर होता है और साहस की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि उनकी आराधना से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोबल बढ़ता है।
इस प्रकार, नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की विधि, मंत्र और अनुशासन का पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
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