शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व इस बार 22 सितंबर से प्रारंभ हुआ है। इस साल नवरात्रि 10 दिनों तक मनाई जा रही है, क्योंकि एक तिथि दो बार पड़ रही है। तृतीया तिथि दो दिन तक रही, इसी कारण आज नवरात्रि का चौथा दिन मनाया जा रहा है। उदया तिथि के अनुसार आज माता कुष्मांडा की आराधना की जाएगी।
विषयसूची
मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की सृजिता माना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत अलौकिक है। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं। प्रत्येक हाथ में विभिन्न शस्त्र, जपमाला, कमल, कलश और सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। मां का यह रूप भक्तों को नई ऊर्जा और जीवन प्रदान करता है।
पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। माता की चौकी पर लाल चुनरी, फूल, फल और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। उन्हें मालपुआ, बताशा और पीली मिठाइयों का भोग चढ़ाया जाता है। घी का दीपक जलाकर माता का ध्यान करें और दुर्गा सप्तशती अथवा दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर माता का आशीर्वाद लें।
मां कुष्मांडा का प्रिय भोग
माना जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुआ और सफेद पेठा बेहद प्रिय है। भक्त इस दिन उन्हें विशेष रूप से मालपुए का भोग लगाते हैं। इसके अलावा पीली मिठाइयों और बताशे का अर्पण भी किया जाता है।
मां कुष्मांडा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु कुष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।”
इस मंत्र का जाप करने से साधक को बल, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
मां कुष्मांडा की कथा
पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब हर तरफ केवल अंधकार था। उस समय मां कुष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान और शक्ति से सूर्य के तेज का निर्माण किया और पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशमय कर दिया। इसी कारण उन्हें ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी कहा जाता है। वे विद्यार्थियों को विद्या, बल और बुद्धि का वरदान देती हैं।
मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
…
(भक्त इस आरती का गायन कर माता को प्रसन्न करते हैं।)
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की उपासना से भक्तों को अपार ऊर्जा, सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। विद्यार्थी और साधक विशेष रूप से इस दिन मां की पूजा कर ज्ञान और तेज की कामना करते हैं।
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