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Navratri 2025 Ghatasthapana: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, विधि, सामग्री और मंत्र

नई दिल्ली: नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान घटस्थापना या कलश स्थापना है। यह नवरात्रि की शुरुआत में किया जाता है और बिना इसके नवरात्रि पर्व अधूरा माना जाता है। भक्त पहले प्रतिपदा तिथि पर अपने घर में विधि विधान के अनुसार कलश स्थापना करते हैं और नौ दिन तक उसकी पूजा करते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2025 में घटस्थापना मुहूर्त
इस साल घटस्थापना 22 सितंबर 2025 को होगी। प्रतिपदा तिथि के पहले एक तिहाई भाग को कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

  • चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन

  • पवित्र स्थान की मिट्टी

  • आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)

  • अक्षत (कच्चा साबुत चावल)

  • सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)

  • लाल कपड़ा

  • फूल और फूलमाला

  • कलश

  • जल (संभव हो तो गंगाजल)

  • कलावा/मौली

  • सुपारी

  • छिलके/जटा वाला नारियल

घटस्थापना पूजन विधि

  1. साफ स्थान से मिट्टी लें और उसे गंगाजल से पवित्र करें।

  2. मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें जौ या सप्तधान्य बोएं।

  3. कलश में जल भरकर उसे बर्तन के ऊपर रखें और कलश में कलावा बांधें।

  4. जल में लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और एक रुपए का सिक्का डालें।

  5. आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपरी भाग में रखें।

  6. नारियल लें, उसे लाल कपड़े में लपेटें और कलश के ऊपर रखें। नारियल पर माता की चुन्नी और कलावा बंधा होना चाहिए।

  7. फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।

  8. नौ दिन तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। नवरात्रि के अंतिम दिन कलश का विसर्जन करें।

नवरात्रि माता रानी मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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