नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को लखीमपुर खीरी के मुस्तफाबाद स्थित विश्व कल्याण आश्रम का दौरा किया और ‘स्मृति प्राकट्योत्सव मेला-2025’ में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने पूज्य संतों को नमन किया और धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार और सौंदर्यीकरण के अपने अभियान की जानकारी दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश में धार्मिक स्थलों का विकास, संरक्षण और सौंदर्यीकरण सुनिश्चित किया है। उन्होंने बताया कि पहले इस प्रकार के कार्यों के लिए बजट अधिकतर कब्रिस्तान की बाउंड्री बनाने में खर्च किया जाता था, जबकि अब इसे धार्मिक स्थलों के विकास और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ाने पर लगाया जा रहा है।
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मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि मुस्तफाबाद का नाम अब से ‘कबीरधाम’ होगा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने अयोध्या का नाम फैजाबाद, प्रयागराज का नाम इलाहाबाद और कबीरधाम को मुस्तफाबाद कर दिया था। वर्तमान सरकार इन स्थलों की पहचान को लौटाने का कार्य कर रही है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष इस नामकरण को अक्सर सेक्युलरिज्म के नाम पर आलोचना का विषय बनाता है, जबकि यह केवल पाखंड है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल की अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक पहचान होती है, जिसे बचाना और संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है।
संत कबीरदास की वाणी का महत्व
कबीरधाम आश्रम में आयोजित इस भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री ने संत कबीरदास की शिक्षाओं और वाणी का महत्व भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संत कबीरदास की बातें आज भी समाज को नैतिक मार्गदर्शन और सामाजिक सद्भाव का पाठ पढ़ाती हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संत कबीरदास का संदेश धर्म और जाति से ऊपर उठकर मानवता और समाज की भलाई की ओर ध्यान केंद्रित करता है। उनके उपदेश आज भी लोगों को सही और गलत के बीच का फर्क समझने में मदद करते हैं और समाज में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।
सरकार की उपलब्धियां और विकास
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सरकार की उपलब्धियों और विकास की दिशा में उठाए गए कदमों का भी विवरण दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए विशेष फंड का प्रावधान किया है, ताकि मंदिर, आश्रम और अन्य धार्मिक स्थल न केवल संरक्षित रहें, बल्कि उनका सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व भी बरकरार रहे।
सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की वापसी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि प्रदेश के प्रत्येक धार्मिक स्थल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित करना सरकार की प्राथमिकता है। मुस्तफाबाद का नाम बदलकर कबीरधाम करने का निर्णय इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि इस कदम से न केवल स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी अपने पूर्वजों और उनके सांस्कृतिक योगदान से जोड़ने का अवसर मिलेगा।
समापन
इस भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रभक्ति, सनातन परंपरा, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास की दिशा में सरकार की पहलों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थलों की पहचान मिटाने का दौर अब समाप्त हो चुका है और प्रदेश में सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है।
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