नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है, जिसमें उम्मीद पोर्टल को निलंबित करने की मांग की गई है। बोर्ड का कहना है कि जब तक वक्फ एक्ट 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस पोर्टल का संचालन रोक देना चाहिए।
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याचिका में क्या कहा गया?
बोर्ड ने अदालत से यह आग्रह किया है कि या तो केंद्र सरकार इस पोर्टल पर रोक लगाए या फिर सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना वापस ली जाए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. एस. क्यू. आर. इलियास ने कहा कि बार-बार आपत्ति जताने के बावजूद केंद्र सरकार ने 6 जून को उम्मीद पोर्टल शुरू कर दिया, जिसमें वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया।
“गैरकानूनी और अवमानना” का आरोप
बोर्ड का कहना है कि यह कदम न केवल गैरकानूनी है बल्कि अदालत में लंबित याचिकाओं के संदर्भ में अवमानना भी है। इलियास के अनुसार, यह पोर्टल मुतवल्लियों पर अनावश्यक दबाव डालता है और सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई राहतों को प्रभावित करता है।
वक्फ एक्ट 2025 पहले से विवादित
बोर्ड ने बताया कि वक्फ एक्ट 2025 पहले से ही सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा के अधीन है। मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ विपक्षी दलों, मानवाधिकार समूहों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों – सिख और ईसाई संगठनों – ने भी इसका विरोध किया है। याचिका में प्रार्थना की गई है कि जब तक कोर्ट अपना निर्णय नहीं सुनाता, तब तक पोर्टल को रोका जाए।
विरोध का प्रतीकात्मक अभियान
इससे पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लोगों से वक्फ संशोधन कानून का विरोध जताने के लिए 30 अप्रैल की रात 9 बजे से 9:15 बजे तक “रोशनी बंद” कार्यक्रम का आह्वान किया था।
बोर्ड का कहना है कि लाइट बंद करने का यह प्रतीकात्मक कदम विरोध को सशक्त बनाने में मदद करेगा और जनता के बीच जागरूकता बढ़ाएगा।


