🕒 Published 2 months ago (2:52 PM)
दिल्ली 19 अप्रैल 2025। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान गांव से आई तस्वीरें एक बार फिर मानवता को झकझोर देने वाली हैं। हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद जब राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम पीड़ितों से मिलने गांव पहुंची, तो महिलाएं खुद को रोक न सकीं। वे आयोग की सदस्यों के सामने फफक-फफक कर रो पड़ीं और ज़मीन पर लेटकर बस इतना ही कहती रहीं — “हमें जीने दो।”
मुर्शिदाबाद हिंसा, महिला आयोग अध्यक्ष विजया रहाटकर ने पीड़ितों से की मुलाकात#MurshidabadViolence #MurshidabadRiots #MurshidabadHinduExodus pic.twitter.com/lRsxQPcF3V
— Hindustan Uday News (@PradeepK27951) April 19, 2025
पिछले हफ्ते शुक्रवार को वक्फ कानून के विरोध में हुए हमलों ने धुलियान को हिंसा की आग में झोंक दिया था। गांव के कई घर जलकर खाक हो चुके हैं और कई परिवारों ने अपनी जमीन तक गंवा दी है। अब वहां की महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें स्थायी सुरक्षा मिले, और इसके लिए उन्होंने एक ही मांग रखी — धुलियान में बीएसएफ कैंप स्थापित किया जाए।
ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने घरों को भी बीएसएफ कैंप के लिए देने को तैयार हैं, लेकिन अब और दहशत में नहीं जीना चाहते। यही मांग पास के दिघरी गांव के लोगों ने भी दोहराई, जहां स्थिति कमोबेश समान है। गांववालों का कहना है कि अगर मरना ही है, तो एक बार में मरेंगे — लेकिन बार-बार नहीं।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्याओं ने महिलाओं को भरोसा दिलाया कि वे केंद्र सरकार को पूरी रिपोर्ट सौंपेंगी और बीएसएफ की तैनाती की मांग भी उसमें शामिल होगी। उन्होंने पीड़ितों से कहा कि पूरा देश उनके साथ है और कोई भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा।
महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहातकर ने भी इस दर्द को महसूस किया। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि जब वे पीड़ित महिलाओं से मिलीं तो हर चेहरे पर पीड़ा की एक अलग कहानी नजर आई। उन्होंने लिखा कि दंगों ने इन महिलाओं से उनका सब कुछ छीन लिया — घर, परिवार और सपने। उन्होंने मालदा में राहत शिविरों की स्थिति पर चिंता जताते हुए पूछा कि आखिर कब तक हमारे ही देश में हमारे जैसे लोगों को दर-ब-दर होना पड़ेगा?
धुलियान की इस घटना ने न केवल बंगाल को, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है। सवाल अब यही है कि क्या इन परिवारों को सच में सुरक्षा और न्याय मिलेगा, या फिर ये सिर्फ एक और हादसा बनकर रह जाएगा?