मुंबई: पवई स्थित आरए स्टूडियो में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य का मामला अब पूरे देश में सुर्खियों में है। पुलिस ने स्टूडियो से एयर गन, पेट्रोल, ज्वलनशील रबर सॉल्यूशन और लाइटर जैसी आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद की हैं। पवई पुलिस ने मृत आरोपी रोहित आर्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 109(1), 140 और 287 के तहत मामला दर्ज किया है। आगे की जांच अब क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है, जबकि बरामद सामान फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया।
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रोहित आर्य की साजिश और सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रोहित आर्य ने स्टूडियो के सभी दरवाजों और खिड़कियों पर सेंसर लगाकर सुरक्षा को बढ़ाया था। मोशन डिटेक्टर सेंसर की मदद से किसी को अंदर आने से रोका गया। इसके अलावा, सभी सीसीटीवी कैमरों के एंगल बदल दिए गए थे ताकि वास्तविक स्थिति किसी को पता न चल सके। जब पुलिस बाथरूम के रास्ते से अंदर दाखिल हुई और मुठभेड़ में रोहित को गोली लगी, तब पुलिस ने इन सेंसरों को निष्क्रिय किया।
चश्मदीद महिला ने बताई 30 अक्टूबर की पूरी घटना
75 वर्षीय मंगल पाटणकर, जो इस घटना की चश्मदीद रही हैं, ने 30 अक्टूबर को दोपहर डेढ़ बजे से शाम 5 बजे तक घटित हर पल का ब्योरा दिया। केवल मराठी समझने वाली मंगल पाटणकर ने बताया कि शुरुआत में सब सामान्य लग रहा था, जब रोहित आर्य और उसके साथ एक काले रंग का व्यक्ति बच्चों को अंदर के कमरे में ले गए।
मंगल ने कहा, “लंच का समय था, लेकिन रोहित ने किसी को बाहर जाने नहीं दिया। मेरी बेटी वंदना जाधव और पोती निराली जाधव को कॉल किया, लेकिन काले रंग के व्यक्ति ने मुझे डांट लगाई कि किसी से बात मत करो। वह रोहित के साथ इस किडनैपिंग में शामिल था।”
बच्चों के परिजनों से पैसे ऐंठने की योजना
मंगल पाटणकर ने आगे बताया कि रोहित आर्य ने बच्चों के परिजनों से पैसे ऐंठने का प्रयास किया। उसने कहा कि उसके पास पहले से पैसे नहीं हैं और वह हर बच्चे से एक करोड़ रुपये वसूलना चाहता था। रोहित ने अमीर जिलों के स्कूलों से बच्चों का चयन किया था, जिनकी फीस भी उसने पहले से नहीं ली थी।
स्टूडियो में रोहित के साथ एक देशमुख नाम का व्यक्ति भी था, जो शायद डायरेक्टर था। मंगल पाटणकर ने बताया कि देशमुख 29 अक्टूबर को मुंबई से पुणे चला गया था, जिससे लग रहा था कि उसे पहले से साजिश की जानकारी थी।
पुलिस की कार्रवाई और चश्मदीद की चोट
जब पुलिस ने स्टूडियो में प्रवेश किया, तो मंगल पाटणकर ने बच्चों को बाहर निकालने की कोशिश की। पुलिस ने रोहित के पैर में गोली मारी, जिसके बाद वह गिर गया। मंगल ने बताया कि दरवाजा उनके ऊपर गिर गया और सिर तथा कंधे से खून बहने लगा। उन्हें मूर्छित अवस्था में कॉन्स्टेबल सावंत वैन में डालकर अस्पताल ले गए।
मंगल पाटणकर का बयान इस किडनैपिंग मामले की भयावहता और रोहित आर्य की योजना की गंभीरता को उजागर करता है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और क्राइम ब्रांच की आगे की जांच अब इस मामले में सभी खुलासे सामने लाएगी।
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