संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ट्रंप बयान पर हंगामे के आसार

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 weeks ago (4:25 PM)

नई दिल्ली। संसद का आगामी मानसून सत्र इस वर्ष 21 जुलाई से 12 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि यह निर्णय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स की सिफारिश के आधार पर लिया गया है।

सत्र के दौरान सरकार कई अहम विधेयक पेश करने जा रही है, लेकिन इससे पहले ही विपक्ष ने माहौल गर्म कर दिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद की घटनाएं शामिल हैं, को लेकर विपक्ष सरकार से विशेष सत्र की मांग कर चुका है।

विपक्ष का सरकार पर दबाव: विशेष सत्र की मांग
‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल 16 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। विपक्ष चाहता है कि संसद में पहलगाम हमले के बाद की स्थिति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विस्तृत चर्चा हो। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख नेताओं में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, अभिषेक बनर्जी, एमके स्टालिन, शरद यादव समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं।

हालांकि, रीजीजू ने इस मांग पर जवाब देते हुए कहा कि “मानसून सत्र के दौरान नियमों के तहत सभी विषयों पर चर्चा हो सकती है।”

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव
इस मानसून सत्र का एक बड़ा मुद्दा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उनके विरुद्ध यह प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। इस मामले में सभी दलों की सहमति लेने के लिए रीजीजू जल्द ही विपक्षी नेताओं से चर्चा करेंगे।

बताया जा रहा है कि वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में उनके आवास पर आग लगने की घटना के बाद कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी।

क्या रहेगा सत्र का एजेंडा?
इस मानसून सत्र में केंद्र सरकार कई प्रमुख विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिनमें न्यायिक सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा, और डेटा प्रोटेक्शन जैसे विषय शामिल हो सकते हैं। साथ ही, विपक्ष भी ऑपरेशन सिंदूर, महंगाई, बेरोजगारी, और विदेशी नेताओं के बयानों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।

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