भारत में इस साल मानसून ने सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की है और मौसम विभाग का अनुमान है कि दिसंबर तक बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। 24 मई को देश में दस्तक देने वाला मानसून 15 अक्टूबर को विदा हुआ, लेकिन इसके बावजूद देश के अलग-अलग हिस्सों में बादल और वर्षा की गतिविधियां बनी हुई हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल मानसून सामान्य से केवल एक दिन बाद विदा हुआ और कुल बारिश सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक दर्ज की गई।
विषयसूची
मानसून का आगमन और सामान्य पैटर्न
IMD के आंकड़ों के अनुसार, 2009 के बाद इस साल मानसून भारत में सबसे जल्दी पहुंचा। 2009 में यह 23 मई को देश में प्रवेश कर चुका था। इस साल मानसून ने पूरे देश को आठ जुलाई की सामान्य तिथि से नौ दिन पहले कवर कर लिया। आमतौर पर मानसून एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे भारत को कवर कर लेता है। उत्तर-पश्चिम भारत से यह लगभग 17 सितंबर के आसपास विदाई की ओर बढ़ता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह देश से चला जाता है।
इस साल कितनी बारिश हुई?
30 सितंबर तक पूरे मानसून मौसम के दौरान देश में चार महीनों में कुल 937.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि सामान्य बारिश 868.6 मिमी होती है। इससे स्पष्ट है कि बारिश सामान्य से आठ प्रतिशत अधिक रही। IMD ने अक्टूबर की शुरुआत में भविष्यवाणी की थी कि उत्तर-पश्चिम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर भारत के अधिकांश हिस्सों में मानसून के बाद के मौसम के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होगी। IMD महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि जून-सितंबर में हुई भरपूर बारिश के बाद अक्टूबर में वर्षा सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक रहने की संभावना है।
पूर्वोत्तर भारत में बारिश कम
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में इस साल केवल 1089.9 मिमी वर्षा दर्ज हुई, जबकि सामान्य वर्षा 1367.3 मिमी होती है। महापात्र के अनुसार, यह क्षेत्र 1901 के बाद दूसरी बार सबसे कम बारिश देखने को मिला। इस क्षेत्र में सबसे कम बारिश 2013 में दर्ज की गई थी। पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में वर्षा में कमी देखने को मिली है। वहीं, पश्चिमोत्तर भारत में 747.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 27.3 प्रतिशत अधिक है।
पंजाब और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और नुकसान
IMD के अनुसार, पंजाब में यह वर्षा 2001 के बाद सबसे अधिक रही और 1901 के बाद छठी सबसे अधिक रिकॉर्ड की गई। जून, अगस्त और सितंबर में राज्य के सभी जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज हुई। पंजाब में दशकों की सबसे भीषण बाढ़ आई, जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं देखने को मिलीं। इससे बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ और लोगों को विस्थापित होना पड़ा।
अधिक बारिश की वजह
IMD ने इस वर्ष बारिश अधिक होने का श्रेय सक्रिय मानसून और लगातार पश्चिमी विक्षोभों को दिया। इससे देश के कई हिस्सों में वर्षा में वृद्धि हुई। मध्य भारत में 1125.3 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 15.1 प्रतिशत अधिक है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में 9.9 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई। भारत में जून में सामान्य से 8.9 प्रतिशत, जुलाई में 4.8 प्रतिशत, अगस्त में 5.2 प्रतिशत और सितंबर में 15.3 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। मानसून कृषि के लिए महत्वपूर्ण है और लगभग 42 प्रतिशत आबादी इससे सीधे प्रभावित होती है। इसके अलावा यह जलाशयों को भरकर पेयजल और बिजली उत्पादन में भी मदद करता है।
सामान्य से ज्यादा ठंड के आसार
इस साल अक्टूबर के पहले सप्ताह में पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी शुरू हो गई। इससे दिल्ली समेत उत्तर भारतीय राज्यों में ठंड का आगमन हो चुका है। इस बार सर्दियां सामान्य से अधिक दिनों तक रह सकती हैं और न्यूनतम तापमान भी सामान्य से नीचे जा सकता है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली और उत्तर भारत में यह सर्दियां एक दशक में सबसे ठंडी हो सकती हैं। हालांकि, प्रशांत महासागर से आने वाली हवाओं का इसमें अहम योगदान रहेगा।
बंगाल और तमिलनाडु में भारी बारिश की संभावना
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में 28 से 31 अक्टूबर के बीच भारी बारिश की संभावना है। बंगाल की खाड़ी में गहरे दबाव का क्षेत्र विकसित हुआ है, जो चक्रवात का रूप ले चुका है। इसका असर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु और अन्य पूर्वी राज्यों में देखने को मिलेगा। मौसम विभाग ने बताया कि मध्य प्रदेश और अन्य इलाकों में भी लगातार बारिश हो रही है। IMD का अनुमान है कि दिसंबर तक देश के अधिकतर हिस्सों में अलग-अलग कारणों से सामान्य से अधिक वर्षा जारी रहेगी।
इस साल मानसून सामान्य से अधिक बारिश लेकर आया और इसके बाद के मौसम में भी वर्षा की संभावना बनी हुई है। यह कृषि, जलाशयों और ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं, ठंड की तीव्रता और लंबाई भी इस बार सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ और नुकसान जैसी घटनाएं भी हुईं, जो यह दिखाती हैं कि मौसम की असामान्य गतिविधियों पर नजर रखना आवश्यक है।
भारत मानसून, मानसून 2025, अधिक बारिश, IMD रिपोर्ट, पंजाब बाढ़, हिमाचल बर्फबारी, उत्तर भारत ठंड, बंगाल बारिश, तमिलनाडु बारिश, मध्य प्रदेश वर्षा, भारत मौसम विज्ञान विभाग, पश्चिमी विक्षोभ, मानसून प्रभाव, कृषि और मानसून, जलाशय, वर्षा रिकॉर्ड, मौसम अपडेट, अक्टूबर बारिश, दिसंबर मौसम, भारत सर्दियां
अगर खबर पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें!


