पहलगाम हमले पर मोहन भागवत का बड़ा बयान: राजा का धर्म है अत्याचारियों को दंड देना

By Hindustan Uday

🕒 Published 3 months ago (3:32 PM)

नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत का बयान चर्चा का विषय बन गया है। शनिवार को ‘द हिंदू मेनिफेस्टो’ पुस्तक के विमोचन समारोह में बोलते हुए भागवत ने कहा कि अहिंसा भारतीय धर्म का मूल है, लेकिन अत्याचारियों को दंडित करना भी उसी अहिंसा का एक रूप है।

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार किसी भी पड़ोसी देश को नुकसान नहीं पहुंचाता। हालांकि, यदि कोई देश या संगठन अत्याचार करता है और गलत मार्ग पर चलता है, तो “राजा” यानी सरकार का कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा की रक्षा करे और दोषियों को उचित दंड दे।

भागवत ने कहा, “भगवान ने रावण का संहार किया था, वह हिंसा नहीं थी। अत्याचारियों को रोकना और जनता की रक्षा करना धर्म है।” उन्होंने बिना किसी देश का नाम लिए यह संदेश दिया, जिसे परोक्ष रूप से पाकिस्तान से जोड़कर देखा जा रहा है, खासकर हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में।

शास्त्रार्थ की परंपरा पर बल

मोहन भागवत ने भारतीय संस्कृति में संवाद और विचार-विमर्श की परंपरा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ की पद्धति से ही समस्याओं का समाधान निकलता है और इसी से हिंदू धर्म का काल-सुसंगत स्वरूप समाज के सामने आता है।

सरकार और सेना एक्शन में

पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार और सुरक्षा बलों ने तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है। सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, एनआईए और अन्य एजेंसियां मिलकर आतंकियों के खिलाफ सघन तलाशी अभियान चला रही हैं। ड्रोन, हेलीकॉप्टर और अन्य आधुनिक उपकरणों के जरिए आतंकियों की तलाश जारी है।

अनंतनाग जिले से बड़ी कार्रवाई की खबर आई है, जहां सेना ने तलाशी अभियान के दौरान 175 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

मुख्य आरोपी की पहचान

जानकारी के अनुसार, अनंतनाग के आदिल हुसैन को पहलगाम हमले का मुख्य आरोपी माना जा रहा है। वहीं, त्राल (पुलवामा) के रहने वाले शेख पर हमले की साजिश में शामिल होने का संदेह है। दोनों के परिवारों ने उनके ठिकाने की जानकारी होने से इनकार किया है।

पहलगाम हमला देश के लिए एक चेतावनी बनकर सामने आया है। अब सवाल यह है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती का कैसे जवाब देती हैं और दोषियों को कैसे न्याय के कठघरे में लाती हैं।

Leave a Comment

Exit mobile version